आइये यहाँ जाने कौन थीं माता देवकी और माता यशोदा

आप सभी ने भगवान श्रीकृष्‍ण के बारे में बहुत कुछ सुना और पढ़ा होगा. ऐसे में आप सभी जानते ही होंगे श्री कृष्णा ने राजा शूरसेन के पुत्र वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से जन्म लिया था और गोकुल के ग्राम प्रमुख नंदराय की पत्नी यशोदा ने उनका लालन पालन किया था. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन दो माताओ के बारे में जिन्होंने श्री कृष्णा को जन्म दिया और लालन-पालन किया था.

देवकी : देवकी मथुरा के राजा उग्रसेन की पुत्री और कंस की बहनी थीं, जिनका विवाह पास ही के राजा शूरसेन के पुत्र वसुदेव से विवाह हुआ था. आप सभी को बता दें कि वसुदेव की पहली पत्नी रोहिणी थी. भगवान कृष्ण की माता देवकी ने वसुदेवजी के साथ अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण साल कारगार में ही बिता दिए थे. कंस वध के पश्चात ही उन्हें रिहा कर दिया गया था.

यशोदा : ब्रजमंडल में सुमुख नामक गोप की पत्नी पाटला के गर्भ से यशोदा का जन्म हुआ. वहीं उनका विवाह गोकुल के प्रसिद्ध व्यक्ति नंद से हुआ. कहते हैं कि यशोदा वैश्य समाज से थीं.

यशोदा के यहां श्रीकृष्ण : आप सभी को बता दें कि कृष्ण को जिस माता ने पाला उनका नाम था यशोदा. वहीं इतिहास में देवकी की कम लेकिन यशोदा की चर्चा ज्यादा होती है, क्योंकि उन्होंने ही कृष्ण को बेटा समझकर पाल-पोसकर बड़ा किया और एक आदर्श मां बनकर इतिहास में अजर-अमर हो गई. इसी के साथ कहा जाता है कंस से रक्षा करने के लिए जब वासुदेव (कृष्ण के पिता) जन्म के बाद आधी रात में ही कृष्ण को यशोदा के घर गोकुल में छोड़ आए तो उनका पालन-पोषण यशोदा ने किया. वहीं महाभारत और भागवत पुराण में बालक कृष्ण की लीलाओं के अनेक वर्णन मिलते हैं जिनमें यशोदा को ब्रह्मांड के दर्शन, माखन चोरी और उनको यशोदा द्वारा ओखल से बांध देने की घटनाओं का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है. इसी के साथ यशोदा ने बलराम के पालन-पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो रोहिणी के पुत्र और सुभद्रा के भाई थे. वहीं उनकी एक पुत्री का भी वर्णन मिलता है जिसका नाम एकांगा था.

जी दरअसल भगवान श्रीकृष्ण ने माखन लीला, ऊखल बंधन, कालिया उद्धार, पूतना वध, गोचारण, धेनुक वध, दावाग्नि पान, गोवर्धन धारण, रासलीला आदि अनेक लीलाओं से यशोदा मैया को अपार सुख दिया था. वहीं इस प्रकार 11 वर्ष 6 महीने तक माता यशोदा के महल में कृष्ण की लीलाएं चलती रहीं और इसके बाद कृष्ण को मथुरा ले जाने के लिए अक्रूरजी आ गए. जी दरसल यह घटना यशोदा के लिए बहुत ही दुखद रही और यशोदा विक्षिप्त-सी हो गईं क्योंकि उनका पुत्र उन्हें छोड़कर जा रहा था. वैसे तो यह बहुत मुश्किल है कि दूसरे के पुत्र को अपने पुत्र के जैसे पालना लेकिन माँ यशोदा ने यह किया.  केवल इतना ही नहीं यशोदा माता से जुड़ी कई घटनाएं और उनके पूर्व जन्म की कथाएं भी पुराणों में मिलती है.

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