जब भी कभी जबान पर उज्जैन का नाम आता है तो सबसे पहले बाबा महाकाल की छवि आँखों के सामने उभरकर सामने आती है। बाबा महाकाल के अलावा किसी और का स्मरण नहीं आता। हालांकि उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर के साथ ही नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Temple) के लिए भी प्रसिद्द है। यह मंदिर नागदेवता को समर्पित है और ख़ास बात यह है कि यह साल में केवल एक बार ही खुलता है और वो भी नाग पंचमी के विशेष अवसर पर।
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, नाग पंचमी के मौके पर इस मंदिर में दर्शन-पूजन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं और इस दिन इस मंदिर में दर्शन-पूजन से लोगों को सर्पदोष से भी छुटकारा मिल जाता है। पुराणों में भी इस बात का उल्लेख है कि इस मंदिर में नाग पंचमी के दिन पूजा करने से सर्पदोष से व्यक्ति को मुक्ति मिल जाती है।
यह मंदिर भारत में नागदेवताओं के मंदिरों में अपना ख़ास स्थान और महत्त्व रखता है। नाग पंचमी के दिन मंदिर में नाग देवता की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा होती है। मंदिर में विराजित मूर्ति की बात की जाए तो इसमें शेषनाग की छाया में शिव जी और माता पार्वती विराजे हैं। इसे लेकर यह भी कहा जाता है कि पुरी दुनिया में उज्जैन में स्थित यह एकमात्र मंदिर है, जिसमे शिव जी और पार्वती की ऐसी अद्भुत प्रतिमा देखने को मिलती है। बता दें कि नागचंद्रेश्वर मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में तीसरे खंड में मौजूद है। साल 2020 की नाग पंचमी की बात करें तो इस साल नाग पंचमी शनिवार, 25 जुलाई को मनाई जाएगी।