21 जुलाई से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा आरंभ होने वाली है. ऐसे में आप सभी जानते ही होंगे अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने माता पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था. इस दौरान के तत्वज्ञान को ‘अमरकथा’ कहा जाता है. इसी वजह से इस स्थान का नाम ‘अमरनाथ’ पड़ गया था. आपको बता दें कि यह कथा माता पार्वती तथा भगवान शंकर के बीच हुआ संवाद था. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके बारे में.
कहा जाता है जब भगवान शंकर इस अमृतज्ञान को माता पार्वती को सुना रहे थे तो वहां एक शुक (हरा कठफोड़वा या हरी कंठी वाला तोता) का बच्चा भी यह ज्ञान सुन रहा था. वहीँ इस दौरान पार्वती कथा सुनने के बीच-बीच में हुंकारा भरती थी लेकिन कथा सुनते-सुनते वह सो गई. वहीँ उनकी जगह वहां बैठे एक शुक ने हुंकारी भरना शुरू कर दिया. वहीँ जब भगवान शिव को यह बात पता चली तो वह शुक को मारने के लिए दौड़े और उसके पीछे अपना त्रिशूल छोड़ा. कहा जाता है उस दौरान शुक जान बचाने के लिए तीनों लोकों में भागता रहा और भागते-भागते वह व्यासजी के आश्रम में आया और सूक्ष्म रूप बनाकर उनकी पत्नी वटिका के मुख में घुस गया. इस दौरान वह उनके गर्भ में रह गया.
कहते हैं वह 12 वर्ष तक गर्भ के बाहर ही नहीं निकला. वहीँ जब भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर उन्हें आश्वासन दिया कि बाहर निकलने पर तुम्हारे ऊपर माया का प्रभाव नहीं पड़ेगा, तभी वह गर्भ से बाहर निकले और व्यासजी के पुत्र कहलाए. जी हाँ, आप सभी को हम यह भी बता दें कि गर्भ में ही उन्होंने वेद, उपनिषद, दर्शन और पुराण आदि का सम्यक ज्ञान पा लिया. वहीँ जन्म के बाद उन्होंने श्रीकृष्ण और अपने माता-पिता को प्रणाम कर तपस्या के लिए जंगल गए और बाद में वह जगत में शुकदेव मुनि के नाम से प्रसिद्ध हुए.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।