जानिए पुनर्जन्म का सत्य और सात हैरान करने वाली बातें

पुनर्जन्‍म एक ऐसा विषय है जिसके बारे में लोगों की हमेशा जानने की इच्छा रहती है। हिन्दुत्व के अलावा अन्य भी कई धर्म हैं जो कि मानते हैं कि मनुष्य का मृत्यु के बाद दूसरा जन्म होता है। उदाहरणतः बौद्ध धर्म भी यही मानता है। मिश्र के पुराने लोग भी इस अवधारणा में विश्वास करते हैं। इसलिए वे स्मारक और डैड बॉडी को जीवित रखने के लिए ममीज बनाते थे।

क्‍या है हिन्‍दु धर्म में मृत्‍यु का संकेत: हिन्दू मान्यता के अनुसार पुनर्जन्म से तात्पर्य आत्मा का जीव में फिर से प्रवेश करने से है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार पुनर्जन्म का सबसे अच्छा उदाहरण भगवान विष्णु के अवतार हैं। उन्होने पृथ्वी से बुराई मिटाने के लिए कई बार मनुष्य अवतार लिया। इसी प्रकार हम अन्य देवताओं के भी पुनर्जन्म के बारे में सुनते हैं। लेकिन इस पूर्वजन्म के सिद्धांत में कितनी सच्चाई है? पूर्वजन्म के बारे में कई आश्चर्यजनक तथ्य हैं जो कि हमें जानना चाहिए। आइये देखते हैं।

आत्मा की अवधारणा: हिन्दू मान्यता के अनुसार आत्मा कभी नहीं मरती है। इंसान की मृत्यु के बाद भी आत्मा जीवित रहती है। आत्मा शरीर ऐसे बदलती है जैसे हम कपड़े बदलते हैं। नए जन्म में हमें किस जीव का शरीर मिलेगा यह आपके पिछले जन्म के अच्छे और बुरे कर्मों पर निर्भर करता है। यदि कोई अच्छे कर्म करता है तो उसे फिर से मनुष्य जन्म मिलेगा। और यदि किसी के कर्म बुरे हैं तो अपने कर्म के अनुसार वह दूसरा शरीर गृहण करेगा।

आश्चर्यजनक तथ्य जो शायद आप नहीं जानते हैं: अधिकतर बार मनुष्य, मनुष्य के रूप में जन्म लेता है। लेकिन कई बार वह पशु रूप में भी जन्म लेता है जो कि उसके कर्मों पर निर्भर करता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरी किए बिना मर जाता है तो वह भूत बन जाता है। उसकी आत्मा सांसारिकता में भटकती रहती है, वह तब तक दूसरा जन्म नहीं लेती है जब तक कि उसकी चाह पूरी ना हो जाये। हिन्दू मानते हैं कि केवल यह शरीर ही नश्वर है जो कि मरणोपरांत नष्ट हो जाता है। शायद इसीलिए मृत्यु क्रिया के अंतर्गत सिर पर मारकर उसे तोड़ दिया जाता है जिससे कि व्यक्ति इस जन्म की सारी बातें भूल जाये और अगले जन्म में इस जन्म की बातें उसे याद ना रहें। उनका मानना है कि आत्मा बहुत ऊंचाई में आकाश में चली जाती है जो कि मनुष्य की पहुँच से बाहर है और यह नए शरीर में ही प्रवेश करती है।

यह जानना आश्चर्यजनक है कि इंसान सात बार पुरुष या स्त्री बनकर यह शरीर धारण करता है और उसे यह अवसर मिलता है कि वह अच्छे या बुरे कर्मों द्वारा अपना अगला भाग्य लिखे। आपको यह भी जानना चाहिए कि आत्मा मृत्यु के तुरंत बाद नया जन्म नहीं लेती है। कुछ सालों के बाद जब स्थिति अनुकूल होती है तभी आत्मा नए शरीर में प्रवेश करती है, कुछ ऋषियों के अनुसार पूर्वजन्म के समय हमारे दिमाग में हर चीज रहती है। लेकिन कुछ लोग ही इसे याद कर पाते हैं। इसका मतलब है कि हमारे पूर्व जन्मों की बातें हमारे दिमाग में रिकॉर्ड रहती हैं लेकिन हम इन्हें कभी याद नहीं कर पाते हैं। हिन्दू मानते हैं कि मनुष्य के ललाट के बीच तीसरी आँख होती है वह केवल तब खुलती है जब आत्मा परमात्मा से मिल जाती है और ब्रह्म बन जाती है। उनका मानना है कि जब तक वह तीसरी आँख खुलती है और भगवत प्राप्ति होती है तब तक व्यक्ति सांसारिकता और विषय-वाषना के पाशों में बंधा रहता है।

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