काला जादू का नाम ही शरीर में सनसनी पैदा करने के लिए काफी है. अक्सीर लोग कालू जादू से बचकर निकलते हैं लेकिन असम में मायोंग गांव ऐसा है जिसे काले जादू का गढ़ कहा जाता है. इस गांव का नाम लेने से भी आसपास के गांव वाले डरते हैं. मायोंग गुवाहाटी से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.मायोंग नाम संस्कृत शब्द माया से लिया गया है.
महाभारत में भी मायोंग का जिक्र आता है. माना जाता है की भीम का मायावी पुत्र घटोत्कच मायोंग का ही राजा था. कहते हैं कि 1332 में असम पर मुग़ल बादशाह मोहम्मद शाह ने एक लाख घुड़सवारों के साथ चढ़ाई की थी. तब यहां हज़ारों तांत्रिक मौजूद थे, उन्होंने मायोंग को बचाने के लिए एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी थी जिसको पार करते ही सैनिक गायब हो जाते थे.
दुनियाभर से काला जादू सीखने और रिसर्च के लिए लोग मायोंग आते हैं. मगर आसपास के गांव के लोग यहां आने से डरते हैं. यहां आने वाले अधिकतर लोग काले जादू से बीमारियों को दूर करने या किसी और पर काला जादू करवाने के लिए आते हैं.मायोंग में बूढ़े मायोंग नाम की एक जगह है, जिसे काले जादू का केंद्र माना जाता है, यहां शिव, पार्वती व गणेश की तांत्रिक प्रतिमा है, जहां सदियों पहले नरबलि दी जाती थी. यहां योनि कुंड भी है जिस पर कई मन्त्र लिखे हैं.
मान्यता है कि मंत्र शक्ति के कारण ये कुंड हमेशा पानी से भरा रहता है. माना जाता है कि यहां लोग गायब हो जाते है या फिर जानवरों में बदल जाते हैं. ये भी कहा जाता है की यहां लोग सम्मोहन से जंगली जानवरों को पालतू बना लेते हैं. काला जादू पीढ़ियों से चल रहा है. नई पीढ़ियों को भी आवश्यक रूप से सिखाया जाता है.