चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. चाणक्य विभिन्न विषयों के जानकार और विशेषज्ञ थे. चाणक्य अर्थशास्त्र के साथ साथ कूटनीति शास्त्र, राजनीति शास्त्र और समाज शास्त्र के भी मर्मज्ञ थे. चाणक्य की चाणक्य नीति व्यक्ति को सफल बनने के साथ साथ बुद्धिमान भी बनाती है. यही कारण है कि आज भी बड़ी संख्या में लोग चाणक्य नीति की शिक्षाओ पर अमल करते हैं और इन शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति में जब ये बातें होती हैं तो वह बुद्धिमान कहलाता है. बुद्धिमान व्यक्ति को हर जगह सम्मान मिलता है. समाज में ऐसे व्यक्ति की बातों को ध्यान से सुना और उन पर अमल किया जाता है. इन गुणों के बारे में आप भी जानें-
संकट आने पर दुखी न हों
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति अपनी शक्ति और क्षमताओं का वास्तविक का ज्ञान रखता है और हानि होने पर दुख सहन करने की शक्ति रखता है. विचलित नहीं होता है, और धर्म को अपनाते हुए इस समय को व्यतीत करता है ऐसा व्यक्ति बुद्धिमान कहलाता है.
गलत कार्यों से दूरी बनाकर रखे
चाणक्य के अनुसार अच्छे कर्मों को अपनाना और बुरे कर्मों से दूरी बनाकर रखना समझदार व्यक्ति की निशानी है. ऐसा व्यक्ति सदैव विवादों से दूर रहता है और अपने बुद्धि के बल पर सफलता प्राप्त करता है.
योजनाओं को गुप्त रखे
चाणक्य के अनुसार समझदार व्यक्ति वही है जो सफल होने से पूर्व अपनी योजनाओं का खुलासा न करें. जिस व्यक्ति के कत्र्तव्य, सलाह और पहले से लिए गए निर्णय को कार्य पूर्ण होने पर ही अन्य लोगों को जानकारी हो, ऐसे व्यक्ति बुद्धिमान कहलाते हैं.
हर बाधाओं को पर करने की क्षमता व्यक्ति को बुद्विमान बनाती है
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति अपने कार्यों को पूरा करने में किसी प्रकार की बाधाओं से नहीं घबराता है और निरंतर अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर रहता है. सर्दी और न ही गर्मी, न ही भय और न ही अनुराग, न ही संपत्ति और न ही दरिद्रता हर बाधा को जो झेलने की क्षमता रखता है वही व्यक्ति बुद्धिमान कहलाता है. ऐसे व्यक्ति पर लक्ष्मी जी की भी कृपा बनी रहती है.
धर्म के मार्ग पर चलो
चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति का निर्णय और बुद्धि, धर्म से प्रेरित रहता है और भोग विलास को त्याग कर पुरुषार्थ को चुनता है ऐसे व्यक्ति को बुद्धिमान कहा जाता सकता है.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।