यह पौधा लाल सहित अन्य कई रंगों में होता है. इसे जवाकुसुम भी पुकारा जाता है. मंगलवार को हनुमान जी और देवी दुर्गा को इसे भेंट किया जाता है. शुक्रवार को महालक्ष्मी को इसे समर्पित कर उनकी असीम कृपा पाई जा सकती है. यह घरों में गमले और जमीन में उगाया जा सकता है. इससे नित्य प्रति इसकी उपलब्धता भी सहज होती है.
सूर्य की प्रबलता भी धनागम में अत्यंत सहायक होती है. गुड़हल का फूल के साथ सूर्य को अर्घ्य देना सुख संवृद्धि और सत्ता पक्ष के कार्याें के लिए शुभकर है. गुड़हल पौधे के फूल और पत्ती का औषधीय उपयोग भी होता है. इसे घरों में लगाए जाने वाले पौधों में प्रमुखता से जाना जाता है. गुड़हल के फूल की चाय बनाई जाती है. केशों को कांतिमान बनाने के लिए इसका रस प्रयोग में लाया जाता है। इससे त्वचा को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है. लक्ष्मीजी की विशेष कृपा के लिए गुड़हल के फूल का लाल रस इकट्ठा कर उससे लक्ष्मी यंत्र बनाकर पूजा मेें रखने से भी लाभ होता है.
माता लक्ष्मी को प्रिय है लाल गुड़हल का फूल, कमल के समान है फलदायी
शहरों में अक्सर कमल पुष्प का सहजता से मिल पाना कठिन होता है. सरोवर में होने से ये महानगरों से आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है. कमल की जगह गहरा लाल गुड़हल का फूल भी लक्ष्मी जी को अतिप्रिय है. शुक्रवार को इसे देवी मां पर इसे चढ़ाया जाना विशेष फलदायि माना गया है.
यह पौधा लाल सहित अन्य कई रंगों में होता है. इसे जवाकुसुम भी पुकारा जाता है. मंगलवार को हनुमान जी और देवी दुर्गा को इसे भेंट किया जाता है. शुक्रवार को महालक्ष्मी को इसे समर्पित कर उनकी असीम कृपा पाई जा सकती है. यह घरों में गमले और जमीन में उगाया जा सकता है. इससे नित्य प्रति इसकी उपलब्धता भी सहज होती है.
सूर्य की प्रबलता भी धनागम में अत्यंत सहायक होती है. गुड़हल का फूल के साथ सूर्य को अर्घ्य देना सुख संवृद्धि और सत्ता पक्ष के कार्याें के लिए शुभकर है. गुड़हल पौधे के फूल और पत्ती का औषधीय उपयोग भी होता है. इसे घरों में लगाए जाने वाले पौधों में प्रमुखता से जाना जाता है. गुड़हल के फूल की चाय बनाई जाती है. केशों को कांतिमान बनाने के लिए इसका रस प्रयोग में लाया जाता है। इससे त्वचा को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है. लक्ष्मीजी की विशेष कृपा के लिए गुड़हल के फूल का लाल रस इकट्ठा कर उससे लक्ष्मी यंत्र बनाकर पूजा मेें रखने से भी लाभ होता है.
यह पौधा लाल सहित अन्य कई रंगों में होता है. इसे जवाकुसुम भी पुकारा जाता है. मंगलवार को हनुमान जी और देवी दुर्गा को इसे भेंट किया जाता है. शुक्रवार को महालक्ष्मी को इसे समर्पित कर उनकी असीम कृपा पाई जा सकती है. यह घरों में गमले और जमीन में उगाया जा सकता है. इससे नित्य प्रति इसकी उपलब्धता भी सहज होती है.
सूर्य की प्रबलता भी धनागम में अत्यंत सहायक होती है. गुड़हल का फूल के साथ सूर्य को अर्घ्य देना सुख संवृद्धि और सत्ता पक्ष के कार्याें के लिए शुभकर है. गुड़हल पौधे के फूल और पत्ती का औषधीय उपयोग भी होता है. इसे घरों में लगाए जाने वाले पौधों में प्रमुखता से जाना जाता है. गुड़हल के फूल की चाय बनाई जाती है. केशों को कांतिमान बनाने के लिए इसका रस प्रयोग में लाया जाता है। इससे त्वचा को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है. लक्ष्मीजी की विशेष कृपा के लिए गुड़हल के फूल का लाल रस इकट्ठा कर उससे लक्ष्मी यंत्र बनाकर पूजा मेें रखने से भी लाभ होता है.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।