वट सावित्री पूर्णिमा व्रत बेहद महत्वपर्ण माना जाता है। यह तीन दिनों का उपवास होता हैं जो दो दिन पहले शुरू होता है। इस तिथि पर वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि बरगद के वृक्ष पर ब्रह्मा जी भगवान विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। ऐसे में इस खास मौके पर विधि अनुसार पूजा करें।
साल के सबसे शुभ त्योहार में से एक वट पूर्णिमा का पर्व भी है। इस पर्व को लोग बड़ी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाते हैं। इस खास दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और प्रार्थना करती हैं। वट पूर्णिमा का त्योहार आमतौर पर विवाहित महिलाएं मनाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह पर्व वट सावित्री व्रत के समान है। इस साल यह पर्व (Vat Purnima Vrat 2024) 22 जून, 2024 को मनाया जाएगा, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं –
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री पूर्णिमा व्रत की शुरुआत इस साल 21 जून, 2024 दिन शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 22 जून, 2024 दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 37 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 21 जून को रखा जाएगा।
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
वट पूर्णिमा के दिन विवाहित महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं भोर में उठकर पवित्र स्नान करें। पारंपरिक लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
इसके बाद महिलाएं सोलह शृंगार करें। भोग प्रसाद के लिए सात्विक भोजन तैयार करें। कच्चा सूत, जल से भरा कलश, हल्दी, कुमकुम, फूल और पूजन की सभी सामग्री लेकर जहां वट वृक्ष हो, वहां पर जाएं। वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं और उसके समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं। इसके बाद सभी पूजन सामग्री एक-एक करके अर्पित करें। फिर पेड़ के चारों ओर 7 बार परिक्रमा करें और उसके चारों ओर सफेद कच्चा सूत बांध दें।
वट सावित्री कथा का पाठ करें। अंत में आरती से पूजा का समापन करें। भगवान का आशीर्वाद लें और पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें। अविवाहित महिलाएं भी मनचाहे वर प्राप्ति के लिए व्रत रख सकती हैं।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।