आचार्य चाणक्य ने मानव मन आैर मनोविज्ञान के आधार पर अनेक नियम बनाए। उन्होंने साधारण, श्रेष्ठ आैर निकृष्ट विशेषताआें के आधार पर मनुष्यों का मूल्यांकन किया। चाणक्य ने राजनीति में अनेक लोगों के व्यवहार का अध्ययन किया आैर उसी के आधार पर अपने नियमों को लिपिबद्घ किया। जानिए चाणक्य के अनमोल वचन।
एक बार काम शुरू कर लें तो असफलता का डर न रखें और न ही काम को बीच में छोड़ें। निष्ठा से काम करने वाले ही सब सुख पाते हैं।
संसार एक कड़वा वृक्ष है, इसके दो फल ही अमृत जैसे मीठे होते हैं। एक मधुर वाणी और दूसरी सज्जनों की संगति।
हमें न अतीत पर कुढ़ना चाहिए और न हमें भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए, विवेकी व्यक्ति केवल वर्तमान क्षण में जीते हैं। उत्तमता गुणों से आती है, उच्च आसन पर बैठने से नहीं, महल के शिखर पर बैठने से कौआ गरुड़ नहीं हो जाता।
मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता।
आंख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती, वासना के अंधे को विवेक नहीं दिखता, मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता।
तृण से हल्की रुई होती है और रुई से भी हल्का याचक होता है। हवा इस डर से उसे नहीं उड़ाती कि कहीं उससे भी कुछ मांग न ले।