कब है वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी?

सनातन धर्म में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का खास महत्व है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा और सेवा की जाती है। साथ ही दान- पुण्य किया जाता है। सनातन धर्म में भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है।

हर साल कार्तिक महीने में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही चतुर्थी तिथि का व्रत रखा जाता है।

इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा करते हैं। आइए, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी की सही तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं-

शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 09 अक्टूबर को रात 10 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और 10 नवंबर को शाम 07 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अत: 10 अक्टूबर को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय संध्याकाल 08 बजकर 13 मिनट पर होगा।

पूजा विधि
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सूर्योदय से पहले उठें। इस समय भगवान गणेश का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कामों से निपटने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर व्रत संकल्प लेकर पीले रंग का वस्त्र का धारण करें।

अब पंचोपचार कर भगवान गणेश की पूजा करें। इस समय भगवान गणेश को पीले रंग का फूल, फल, मोदक और दूर्वा अर्पित करें। अंत में आरती करें। दिनभर उपवास रखें और संध्याकाल में आरती करें। अगले दिन पूजा-पाठ कर व्रत खोलें।

पंचांग

सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 57 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 58 मिनट पर

चन्द्रास्त- रात 08 बजकर 13 मिनट पर

चन्द्रोदय- रात 09 बजकर 48 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 04 मिनट से 02 बजकर 51 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 57 मिनट से 06 बजकर 22 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक

किस दिन मनाई जाएगी देव दीपावाली, भगवान शिव से इस तरह जुड़ा है नाता
इस आरती के बिना अधूरी है मां महागौरी की पूजा

Check Also

इसलिए नहीं होता छोटे बच्चों का दाह संस्कार, गरुण पुराण में बताया गया है कारण

गरुड़ पुराण में व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। …