षटतिला एकादशी पर भूल से भी न करें ये गलती, दुर्भाग्य से भर जाएगा जीवन

माघ महीने के कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2026) 14 जनवरी, 2026 को पड़ रही है। इस दिन तिल का छह प्रकार से उपयोग किया जाता है, जिससे अनजाने में हुए पाप नष्ट होते हैं और स्वर्ण दान के समान पुण्य मिलता है। आइए इस एकादशी से जुड़े नियम जानते हैं।

हिंदू धर्म में माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह पावन तिथि 14 जनवरी, 2026 को पड़ रही है। इस एकादशी का नाम ‘षटतिला’ इसलिए है, क्योंकि इस दिन तिल का छह तरीकों से उपयोग (स्नान, उबटन, तर्पण, दान, भोजन और आहुति) किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, षटतिला एकादशी का व्रत (Shattila Ekadashi 2026) करने से व्यक्ति को सोना दान करने के समान पुण्य फल मिलता है और उसके अनजाने में किए गए पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

हालांकि, इस दिन कुछ वर्जित कामों को करने से न केवल व्रत का फल निष्फल हो जाता है, बल्कि जीवन में दरिद्रता और दुर्भाग्य का आगमन भी हो सकता है। आइए उन नियमों के बारे में जानते हैं।

षटतिला एकादशी पर भूलकर भी न करें ये काम (Shattila Ekadashi 2026 Donts)

चावल का सेवन

एकादशी के दिन चावल खाना शास्त्रों में वर्जित है। माना जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने वाला व्यक्ति अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेना पड़ता है। षटतिला एकादशी पर विशेष रूप से अनाज और चावल से दूर रहना चाहिए।

तिल का उपयोग न करना

इस एकादशी पर तिल का दान और पूजा में तिल का उपयोग जरूर करना चाहिए। जो जातक ऐसा नहीं करते उनके व्रत का फल अधूरा माना जाता है।

तुलसी के पत्ते तोड़ना

भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है, लेकिन एकादशी के दिन तुलसी दल तोड़ना महापाप माना गया है। अगर पूजा के लिए तुलसी के पत्तों की जरूरत है, तो उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।

तामसिक भोजन

षटतिला एकादशी के दिन तामसिक चीजों का सेवन गलती से भी नहीं करना चाहिए। इससे घर की सुख-शांति नष्ट हो जाती है। इस दिन मन और शरीर दोनों पवित्र रखना चाहिए।

विवाद

अक्सर लोग व्रत तो रखते हैं, लेकिन इस दौरान दूसरों की निंदा भी करते हैं। कहा जाता है कि एकादशी पर तामसिक विचार लाने से व्रत का शुभ फल खत्म होता है। विशेषकर इस दिन झूठ बोलने से बचना चाहिए।

दुर्भाग्य दूर करने के लिए क्या करें?

तिल का दान: सामर्थ्य अनुसार तिल और गुड़ का दान करें।

ब्रह्मचर्य का पालन: एकादशी में ब्रह्मचर्य का पालन करें।

विष्णु सहस्रनाम: इस दिन भगवान विष्णु के सहस्रनामों का पाठ करने से कुंडली के अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है।

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