हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का पर्व विशेष महत्व रखता है। जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में यह पर्व अलग नामों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे खिचड़ी, पंजाब में लोहड़ी, जबकि दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल कई लोगों के मन में यह सवाल आ रहा है कि इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी या 15 जनवरी को, साथ ही स्नान-दान का शुभ समय क्या रहेगा। आइए जानते हैं इससे जुड़ी पूरी जानकारी।
मकर संक्रांति की तिथि और शुभ समय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर संक्रांति की तिथि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के समय पर निर्भर करती है। इसी कारण हर वर्ष इसकी तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। हालांकि इस वर्ष ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार स्थिति स्पष्ट है। इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा, लेकिन इससे जुड़े पुण्य कार्य जैसे स्नान और दान 15 जनवरी को करना श्रेष्ठ माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संक्रांति का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है जब स्नान-दान जैसे शुभ कर्म पुण्यकाल में किए जाएं। इस वर्ष सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की शाम 03:13 बजे हो रहा है।
मकर संक्रांति पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र में संक्रांति के दिन पुण्यकाल और महापुण्यकाल को अत्यंत फलदायी माना गया है। इस दौरान किए गए धार्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
पुण्यकाल: शाम 03:13 बजे से शाम 05:46 बजे तक
महापुण्यकाल: शाम 03:13 बजे से सुबह 04:58 बजे तक
मान्यता है कि महापुण्यकाल में पवित्र नदियों में स्नान और दान करना विशेष शुभ फल प्रदान करता है।
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से मकर संक्रांति का दिन अत्यंत पावन माना गया है। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने गए थे, जिसे पिता-पुत्र के स्नेह और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।