तो क्या सीता जी ही माया सीता थीं

भगवान श्रीराम की पत्नी सीता, राजा जनक की पुत्री थीं। रामायण में माता सीता का एक नाम माया (छाया सीता) उल्लेखित है। यह वास्तविक सीता का मिथ रूप है। जब रावण माता सीता का हरण कर लंका ले जाता है तब सीता जी को माया सीता के नाम से संबोधित किया गया है।

goddesssitaji_201621_10100_30_01_2016महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार, जब रावण को मारकर श्रीराम माता सीता के साथ अयोध्या पहुंचते हैं तो सीता जी को अग्नि परीक्षा देकर अपने सतीत्व साबित करना पड़ता है।

रामायण के बाद लिखे गए श्रीराम कथा यानी रामायण के कुछ संस्करणों में उल्लेखित है, जब माता सीता को रावण हरण करने वाला होता है तब वह लक्ष्मण रेखा (श्रीराम के अनुज लक्ष्मण द्वारा खींची गई अग्नि की रेखा जिसे लक्ष्मण रेखा कहते हैं।) को पार करती हैं।

अग्नि रहित लक्ष्मण रेखा को जब सीता पार करती हैं तो असली सीता अग्नि में छिप जाती हैं। लक्ष्मण रेखा के बाहर सीता का माया सीता रूप ही आता है। असली सीता अग्नि में ही छिपी रहती हैं। और जब श्रीराम सीता की अग्नि परीक्षा लेते हैं तब असली सीता अग्नि से बाहर आती हैं। और माया सीता अदृश्य हो जाती हैं।

कुछ हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार माया सीता का पूर्वजन्म में वेदवती का रूप बताया गया है। ठीक इसी तरह उर्वीजा भी सीता जी ही एक और नाम है। मिथिला नरेश जनक जब हल-कर्षण-यज्ञ के समय पृथ्वी से उत्पन्न होने के कारण सीता का यह नाम पड़ा।

दरअसल ‘ऊर्वी’ का अर्थ होता है पृथ्वी और ‘जा’ प्रत्यय का अर्थ है जन्म लेना। यानी उर्वीजा का अर्थ है पृथ्वी से जन्म। इसलिए सीता जी को उर्वीजा भी कहा जाता है। सीता जी राजा दशरथ की पुत्रवधु थीं।

 
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