हनुमानजी को राम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। हनुमान सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं।कहते हैं कि दुनिया चले न श्रीराम के
बिना और रामजी चले न हनुमान के बिना। हनुमानजी, राम के परम भक्त और उनकी भक्ति में रहने के लिए ही धरती पर अवतरित हुए है
आपने आज तक यही सुना होगा की भगवान् राम के परम भक्त हनुमान जी है लेकिन बहुत ही कम लोग जानते है की एक बार
हनुमान जी और राम जी के बीच भी युद्ध हुआ थाक्यु हुआ था श्री राम और हनुमान जी के बीच युद्ध –
राजा ययाति ने श्री राम के गुरु विश्वामित्र का अपमान किया था जिसके चलते विश्वामित्र के निर्देशानुसार श्री राम को राजा ययाति को म्रतुदंड देना था| संकट की इस घड़ी में राजा ययाति ने श्री हनुमान जी से शरण मांग कर चतुराई का परिचय दिया। हनुमान जी ने भी बिना सोचे राजा ययाति को उसके प्राण बचाने का वचन दे दिया लेकिन जब हनुमान जी ने पूछा की कौन है वो, तो राजा ने बताया की वो भगवान् राम हे जो मेरे प्राण लेना चाहते है परन्तु माता अंजनी के आदेश पर राजा ययाति को उनकी रक्षा करने का वचन दे दिया।
यह तो तय था कि श्री हनुमानजी अपने आराध्य पर अस्त्र या शस्त्र नहीं उठा सकते थे। तब ऐसे में हनुमानजी ने किसी तरह के अस्त्र-शस्त्र से लड़ने के बजाए भगवान श्री राम के नाम को जपना शुरू कर दिया।
राम ने जितने भी बाण चलाए सब बेअसर रहे।ऐसे में विश्वामित्र भगवान हनुमान की श्रद्धाभक्ति और रक्षक को दिए वचन को देखकर विस्मित रह गए और हनुमानजी की इस भक्ति को देखने हुए उन्होंने भगवान राम को इस धर्मसंकट से मुक्ति दिलाई।उन्होंने श्रीराम को युद्ध रोकने का आदेश देकर राजा ययाति को जीवन दान दिया। अस तरह से दोनों के ही वचन की रक्षा हो गई।