नारद मुनि के श्राप के कारण भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास मिला

अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र राम को 14 वर्ष का वनवास इसलिए मिला था. क्योंकि कैकेयी रामजी को अयोध्या के राजा के रूप में देखना नहीं चाहती थी. इसलिए कैकेयी ने राजा दशरथ से वचन के रूप में राम को 14 वर्ष का वनवास और भरत को राजसिंहासन देने का माँगा था. तब कैकेयी को राजा दशरथ द्वारा दिए गए वचन को पूरा करने के लिए राम जी 14 वर्ष का वनवास जाने के लिए राज़ी हो गए, लेकिन ऐसा कहा जाता है की राम जी को वनवास जाने के लिए और भी कारण है जो इस प्रकार हम आपको बताते है.

कैकेयी अपने चारो पुत्र को एक समान प्यार करती थी कभी भी कैकेयी ने किसी के साथ भी भेद भाव नहीं किया. लेकिन राम जी को वनवास जाने के लिए कैकेयी को उकसाने का खास कारण देवताओं का था यह बात राम चरति मानस में लिखी हुई है. भगवान राम का जन्म रावण का वध करने के उद्देश्य से हुआ था, अगर राम राजा बन जाते तो देवी सीता का हरण और इसके बाद रावण वध का उद्देश्य अधूरा रह जाता, इसलिए राम को वन में जाना जरुरी था.

राम जी को वनवास जाने का एक कारण यह भी है की, उनका वनवास एक श्राप से शुरू होता है. एक बार की बात है जब नारद मुनि भ्रमण कर रहे थे तब उन्हें एक सुन्दर कन्या दिखी और उसी समय उन्हें उस कन्या से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हुई, तब नारद मुनि सुन्दर रूप पाने के लिए नारायण के पास पहुंचे और हरि जैसी छवि मांगी, हरि का मतलब विष्णु भी होता है और वानर भी. तब भगवान ने नारद को वानर मुख दे दिया. और इस कारण से नारद मुनि का विवाह नहीं हो पाया. क्रोधित होकर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को श्राप दे दिया कि आपको देवी लक्ष्मी का वियोग सहना पड़ेगा और वानर की सहायता से ही आपका पुनः मिलन होगा, इस श्राप के कारण राम सीता का वियोग होना था इसलिए भी भगवान राम को वनवास जाना पड़ा.

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