भगवान शिव के गण वीरभद्र की उत्पत्ति कैसे हुई, जानिए रहस्य

भगवान शिव की सुरक्षा और उनके आदेश को मानने के लिए उनके गण सदैव तत्पर रहते हैं। उनके गणों में भैरव को सबसे प्रमुख माना जाता है। उसके बाद नंदी का नंबर आता और फिर वीरभ्रद्र। जहां भी शिव मंदिर स्थापित होता है, वहां रक्षक (कोतवाल) के रूप में भैरवजी की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। भैरव दो हैं- काल भैरव और बटुक भैरव।

शिव के प्रमुख गण थे- भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है। ये सभी गण धरती और ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं और प्रत्येक मनुष्य, आत्मा आदि की खैर-खबर रखते हैं। 

वीरभद्र उत्पत्ति कथा : शिवजी के ससुर दक्ष प्रजापति ने एक विशाय यज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी ऋषि, मुनी, देवी और देवताओं को बुलाया था। इस यज्ञ में दक्ष ने शिव और सती को नहीं बुलाया था। माता सती अपने पति महादेव की इच्छा के विरुद्ध अपने पिता दक्ष प्रजापति के द्वारा आयोजित इस यज्ञ में गई थीं।

पिता का यज्ञ समझ कर सती बिना बुलाए ही पहुंच गयी, किंतु जब उसने वहां जाकर देखा कि न तो उनके पति का भाग (यज्ञ के लिए) ही निकाला गया है और न उनका सत्कार किया गया बल्कि पिता ने उनकी ओर देखा तक नहीं। अपने और अपने पति का घोर अपमान देखकर सती ने यज्ञ के भीतर ही कूदकर आत्मदाह कर दिया। यह देखर वहां हाहाकार मच गया।

भगवान शंकर को जब यह समाचार मिला तो वे क्रोधित हो गए। उन्होंने दक्ष, उसकी सेना और वहां उपस्थित उनके सभी सलाहकारों को दंड देने के लिए अपनी जटा से वीरभद्र नामक एक गण उत्पन्न किया। उत्पन्न होते ही वीरभद्र शिव की आज्ञा से तेजी से यज्ञ स्थल पहुंचा और उसने वहां की भूमि को रक्त से लाल कर दिया और बाद में दक्ष को पकड़कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। इस घटना का वर्णन स्कंद, शिव और देवी पुराण के बाद देव संहिता में मिलता है।

बाद में ब्रह्माजी और विष्णुजी फिर कैलाश पर्वत पर गए और उन्होंने महादेव से विनयकर अपने क्रोध को शांत करने को कहा और राजा दक्ष को जीवन देकर यज्ञ को संपन्न करने का निवेदन किया। बहुत प्रार्थना करने के बाद भगवान शिव ने उनकी बात मान ली और दक्ष के धड़ से बकरे का सिर जोड़कर उसे जीवनदान दिया, जिसके बाद यह यज्ञ पूरा हुआ।

वीरभद्र मंदिर : भगवान शिव के गण वीरभद्र की दक्षिण भारत में शिवजी की तरह ही पूजा अर्चना होती है। वीरभद्र मंदिर, लेपाक्‍क्षी गांव में स्थित है। यह मंदिर, दक्षिण भारत में काफी विख्‍यात है और यहां सारे देश से दर्शनार्थी दर्शन करने आते है। इस मंदिर में भगवान वीरभद्र की पूजा की जाती है। वीरभद्र मंदिर को 16 वीं शताब्‍दी में विजयनगर के राजा के द्वारा बनवाया गया था।

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