चार दिन तक चलने वाले महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में छठ के इस महापर्व को बिहार में के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल में भी मनाया जाता है. कहते हैं छठ पूजा के दिन घर के लगभग सभी सदस्य (बच्चों और बुजुर्गों को छोड़कर) व्रत रखते हैं और आज के दिन का काफी खास महत्व होता है. ऐसे में इन दिनों घर को अच्छे से साफ किया जाता है और इसके बाद व्रती नहा-धोकर साफ कपड़े पहन कर कद्दू भात का प्रसाद ग्रहण करते हैं. आप सभी को बता दें कि सूर्य को पहला अर्घ्य 13 नवंबर को दिया जाने वाला है. ऐसे में इस त्यौहार की शुरुआत नहाय खाय से होती है और उसके बाद कल यानी सोमवार को लोहंडा और खरना होगा. आप सभी को बता दें कि क्या होता है लोहंडा और खरना.
लोहंडा और खरना –
कहते हैं छठ पूजा के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिनभर का उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं इसे ‘खरना’ कहा जाता है. वहीं खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है और प्रसाद के रूप में गन्ने के रस में बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है.
कहते हैं इसमें नमक या चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है और इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. वहीं तीसरे दिन संध्या का अर्घ्य होता है. यानी तीसरे दिन छठ का प्रसाद बनाया जाता है और प्रसाद के रूप में ठेकुआ (टिकरी) के अलावा चावल के लड्डू बनाए जाते हैं जिन्हे छठ माँ को चढ़ाते हैं.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।