आप सभी को बता दें कि हिंदू धर्म में गणपति बप्पा को एक बहुत ही विशेष स्थान दिया गया है. ऐसे में किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत हो या कोई भी नया कार्य शुरू होने जा रहा हो तो भगवान गणेश की पूजा की जाती है. ऐसे में कहा जाता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत में गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाए तो वो कार्य सफल और अच्छे से हो जाता है, लेकिन गणेश जी की पूजा करने और उनके मंत्रों के जाप करने में लोग अक्सर कई गलतियां कर देते हैं, जिसके कारण उनकी पूजा व्यर्थ हो जाती है. ऐसे में कहा जाता है सुबह उठकर सबसे पहले स्नान के बाद गणेश जी की प्रतिमा के सामने दीपक जलाने से बहुत लाभ होता है और उस दौरान इस मंत्र का उच्चारण करना ज्यादा फल देता है-
“साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया, दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्, भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने, त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्योत.
” इसी के साथ कई बातों का और ध्यान रखना चाहिए. आइए बताते हैं.
सिंदूर दान – कहा जाता है दीप जलाने और मंत्र उच्चारण के बाद गणेश जी को सिंदूर अर्पण करना चाहिए और उस दौरान इस मंत्र का जाप करना चाहिए. “सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्, शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्.”
प्रसाद दान – इसके बाद भगवान को मिठाई या फल प्रसाद के रूप में चढ़ा दें और उस समय इस मंत्र का उच्चारण करें. “नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरू, ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम्, शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च, आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद.”
माल्यार्पण – इसके बाद भगवान को फूल चढ़ाए या माला अर्पण करें और यह मंत्र बोले “माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो, मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः.”
यज्ञोपवीत – अब यज्ञोपवीत करें और इस मंत्र का जाप करें. “नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्, उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर.”