इस कारण हनुमान भक्तों पर नहीं पड़ती कभी शनि की वक्री दृष्टि

शास्त्रों में कई कहानियां और कथाए हैं जिनके बारे में सुनकर और जानकर हैरत होती है. ऐसे में बात करें हनुमान जी की तो वह अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बनाए रखते हैं और उनके भक्तों पर शनिदेव भी अपनी कृपा सदा रखते हैं. ऐसे में हनुमान भक्त सदा शनि की वक्री दृष्टि से बचे रहते हैं और कहा जाता है इसके पीछे का कारण भी बहुत अद्भुत है. जी हाँ और आज हम आपको उसी कारण के बारे में बताने जा रहे हैं.

कथा – जब रावण के पुत्र का जन्म होने वाला था, तो उसने समस्त ग्रहों को कुंडली के ग्यारहवें भाव में बाँध दिया था किन्तु शनिदेव ने अपना एक पैर कुंडली के बारहवे भाव में रख दिया और इसी कारण रावण का पुत्र अमर न हो सका. क्रोध में रावण ने शंदेव का एक पैर तोड़ दिया और उन्हें बंदी बनाकर अपने कारागृह में डाल दिया था. जब भगवान राम का सन्देश लेकर हनुमान जी देवी सीता के पास अशोक वाटिका पहुंचे, तो उन्होंने शनिदेव को आज़ाद कराकर आसमान में दूर फेंक दिया.

इसके बाद शनिदेव वहाँ से सीधा आकर मध्यप्रदेश के एती गाँव में गिरे.शनिदेव ने बजरंगबली को वचन दिया था कि वे लंका का नाश करने में हनुमान जी की मदद करेंगे. शनिदेव ने इसी स्थान से लंका पर अपनी वक्री दृष्टि डाली और लंका जलकर भस्म हो गयी. आज भी इस स्थान पर शनिदेव का भव्य मंदिर स्थित है, जिसका जीर्णोद्धार राजा विक्रमादित्य के द्वारा किया गया था. प्रतिवर्ष हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं और शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

इस नर्तकी के प्यार में पागल हो गया था भारत का सबसे क्रूर योद्धा
यह थे महाभारत के वह 2 योद्धा जिन्हें छल से ही जीता जा सकता था

Check Also

जानें, कैसे पड़ा बाबा बर्फानी की गुफा का नाम अमरनाथ?

हिंदुओं के लिए पवित्र तीर्थस्थल अमरनाथ धाम (Amarnath Yatra 2024) है। धार्मिक मान्यता है कि …