नवरात्रि के नवें दिन माता सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। माता साधक और श्रद्धालु को सिद्धियों का वरदान देती हैं। माता की शक्तियां दीव्य हैं। मां सिद्धिदात्री देवी की आराधना करने से श्रद्धालु की योग्यता और शक्ति में बढ़ोतरी होती है। माता का स्वरूप अर्द्धनारीश्वर है। माता ने अपने चतुर्भज हाथों में गदा, पद्म, चक्र, शंख धारण किया हुआ है। माता का यह स्वरूप बेहद तेजस्वी है और मनोरथ पूर्ण करने वाला हैं माता को ऊं ह्लीं सः सिद्धिदात्र्यै नमः मंत्र से प्रसन्न किया जाता है।
माता की 9 वें दिन पूजा की जाती है। माता को हवन से भी प्रसन्न किया जाता है। माता का स्वरूप विविध मनोकमनाओं को पूर्ण करता है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व, वशित्व को प्रदान करने वाली माता पुण्यफल प्रदान करती है।
वे अपने श्रद्धालुओं को प्रसन्न रहने का आशीर्वाद भी देती हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि भगवान श्रीकृष्ण जन्मखंड के अनुसार मां सिद्धिदात्री का पूजन 18 प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए करते हैं। इनकी आराधना दानव, देव, गन्धर्व, किन्नर, मानव, यक्ष आदि भी करते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव की कृपा से ही उनका शरीर आधा नारी और आधा नर का हुआ था।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।