देवशयनी एकादशी जिसे हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है इस वर्ष 12 जुलाई को मनाया जाएगा. इसके बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जायेंगे. इस वर्ष इस एकादशी के दिन कई शुभ और सुंदर संयोग बने हैं जो इस एकादशी के महत्व को कई गुणा बढ़ा रहे हैं. साल की 24 एकादशी में हरिशयनी एकादशी का महत्व यूं भी बहुत है लेकिन इन संयोगों के कारण इस बार एकादशी व्रतियों के लिए बहुत ही शुभ और पुण्यफलदायी है. बता दें, इस बार कुछ खा संयोग बन रहे हैं. 
देवशयनी एकादशी पर शुक्र का अनोखा संयोग
इस बार देवशयनी एकादशी पर सबसे बड़ा संयोग यह बना है कि यह शुक्रवार को है जो देवी लक्ष्मी को समर्पित दिन है. भगवान विष्णु शुक्रवार को योगनिद्रा में शेषनाग की शैय्या पर शयन करेंगे और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवप्रबोधिनी और देवउठानी एकादशी कहते हैं उस दिन निद्रा से जगेंगे जो इस वर्ष 8 नवंबर को है. संयोग की बात यह है कि 8 नवंबर देवप्रबोधिनी एकादशी भी शुक्रवार को है. इसलिए देवशयनी से लेकर देवप्रबोधिनी एकादशी तक शुक्रवार को लक्ष्मी नारायण की पूजा श्रद्धालुओं के लिए सुख-समृद्धिदायक रहेगी.
हरिशयन एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग
इस वर्ष हरिशयन यानी देवशयनी एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि नामक शुभ योग भी बना है जो दोपहर 3 बजकर 57 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन सुबह तक रहेगा. इस योग के कारण इस दिन भगवान विष्णु का पूजन व्रत अत्यंत शुभफलदायी होगा. अगर आप कोई धार्मिक या शुभ कार्य करना चाहते हैं या कोई नया काम शुरू करना चाहते हैं तो इस अवसर पर कर सकते हैं.
हरिशयन एकादशी पर रवि योग
इस एकादशी के अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि योग की तरह शुभ रवि योग भी बना है. इस योग के विषय में कहा जाता है कि यह कई अशुभ योगों के बुरे प्रभाव को दूर करने की क्षमता रखता है. इस योग को सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त है. इस योग में सभी शुभ काम संपन्न किए जा सकते हैं. इस योग के बारे में कहा जाता है कि इस योग में की गई शल्य चिकित्सा और उपचार भी सफल होता है. इस योग में कर्ज मुक्ति के लिए प्रयास करना भी फलदायक माना गया है. जो लोग कर्ज से परेशान हैं उन्हें इस योग में लक्ष्मी नारायण की पूजा करनी चाहिए.
शुभ योग
इस वर्ष देवशयनी एकादशी के दिन दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से शुभ योग भी आरंभ हो रहा है. ऐसे में व्रतियों और शुभ फल की इच्छा रखने वालों के लिए यह एकादशी अत्यंत शुभ है.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।