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परिष्कृत चेतना हैं राम

राम हमारे बहुत काम के हैं। किंतु सवाल है कि किस रूप में और किस तरह? यहां हमारे सामने दो रास्ते हैं और यह हम पर है कि इन दो रास्तों में से अपने लिए हम कौन-सा रास्ता चुनते हैं। पहला रास्ता यह मानने का है कि राम भगवान ही थे। दूसरा रास्ता यह मान लेना है कि वे भगवान …

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बजरंगबली की उपासना करने वाला कभी पराजित नहीं होता

पुराणों में कहा गया है कि बजरंगबली की उपासना करने वाला भक्त कभी पराजित नहीं होता। हनुमानजी का जन्म सूर्योदय के समय बताया गया है इसलिए इसी काल में उनकी पूजा-अर्चना और आरती का विधान है। हनुमान जयंती के दिन प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद पूजा करनी चाहिए। पूजा में ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखना …

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जानिए भगवान शिव ने क्यों किया था विष्णु के वंश का नाश

धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के 19 अवतार हुए हैं। उनमें से वृषभ अवतार भगवान शिव ने एक बैल के रूप में लिया क्योंकि उनकी माया से विष्णु जी बैकुण्ठ को छोड़ अप्सराओं संग पाताल में रहने लगे थे। उसी दैरान उनके राक्षसी प्रवृति के क्रूर पुत्र हुए। उनके आतंक से देवताओं को स्वतंत्र करवाने के लिए भगवान शिव …

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राजा तो केवल राम…

मनुष्य प्राकृतिक प्राणी है। शरीर से मानव है, भीतर से कहीं पशु भी है। शरीर उसको कर्म करने तथा पिछले कर्मों के फल भोगने के लिए मिलता है।    फलों की इसी छाया में उसका अज्ञान-अवतार होता है। वह अपने चारों ओर अज्ञान का वातावरण ही देखता है। उसी में अपने ऋणानुबन्ध चुकाता है तथा वातावरण में अपने मन की …

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विवाद के चार सौ छियासी वर्ष

अयोध्या ने बीते चार सौ छियासी वर्षो से केवल राजनीति का वो दौर देखा है जिसमें अपने ही अपनों के दुशमन बनते रहे। इस दौरान किसी को कुछ मिला हो या न मिला हो पर अयोध्या को केवल अशांति का वातावरण ही मिला है। अयोध्या के विवादित स्‍थल पर राम मंदिर था अथवा मस्जिद यह तो अब सर्वोच्‍च न्‍यायालय के …

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