भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के पश्चात् वेदव्यास की बात मानते हुए राज-पाठ छोड़कर पांडवों ने द्रौपदी सहित सशरीर स्वर्ग जाने का निश्चय किया. स्वर्ग जाने से पहले युधिष्ठिर ने परीक्षित को सारा राज-पाठ सौंप दिया और द्रौपदी सहित सभी पांडव साधु का वस्त्र धारण कर स्वर्ग के लिए निकल पड़े. द्रौपदी सहित पांडव जब स्वर्ग जाने लगे तो उनके साथ-साथ …
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सत्कर्म से प्रसन्न होते हैं भाग्य के देवता शनि, पूजन से मिलता है अच्छे कार्याें का फल
जीवन में कमजोर समय आते ही लोग शनि के प्रभाव पर विचार करने लगते हैं. अक्सर जीवन में बड़े अवरोध शनि की साढ़ेसाती और ढैया में आते हैं. अवरोधों को दूर करने का सर्वाेत्तम उपाय यही है कि कर्म की शुचिता और स्पष्टता रखी जाए. सत्कर्म स्वयं में ईश्वर पूजा के समान हैं. सच्चाई और ईमानदारी से किए गए कार्य …
Read More »तीन शादियां होने के बाद भी हनुमान जी कहलाते है बाल ब्रह्मचारी, जानिए….
हिन्दू धर्मशास्त्रों में पवनसुत हनुमान को राम भक्त के तौर पर जाना तथा पूजा जाता है। ऐसी प्रथा है कि हनुमान जी जीवन भर ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए भगवान श्रीराम की सेवा करते रहे। किन्तु वहीं कुछ पौराणिक शास्त्रों में हनुमान जी के विवाहित होने की बात बताई गई है। यहां तक की आंध्रप्रदेश में हनुमान जी का …
Read More »महादेव का महामंत्र है मृत्युंजय, सभी प्रकार के कष्ट से दिलाता है मुक्ति
अक्सर जीवन में कठिनाई आती है. आकस्मिक घटनाओं, स्वास्थ्य बाधाओं, कारोबारी परेशानियों और अन्य दिक्कतों से हर एक को कभी न कभी झूझना ही पड़ता है. ऐसी परिस्थतियों में शिव जी मृत्युंजय मंत्र विशेष लाभकारी है. ओम् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमामृतात्।। इस मंत्र के उच्चारण में तनिक भी दोष स्वीकार नहीं किया जाता है. इसे अतिविनय भाव से आदर की …
Read More »माता लक्ष्मी को प्रिय है लाल गुड़हल का फूल, कमल के समान है फलदायी
शहरों में अक्सर कमल पुष्प का सहजता से मिल पाना कठिन होता है. सरोवर में होने से ये महानगरों से आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है. कमल की जगह गहरा लाल गुड़हल का फूल भी लक्ष्मी जी को अतिप्रिय है. शुक्रवार को इसे देवी मां पर इसे चढ़ाया जाना विशेष फलदायि माना गया है. यह पौधा लाल सहित अन्य …
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