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रामायण-40: च्यवन ऋषि का आगमन, लव-कुश का जन्म एवं लवणासुर वध

एक दिन जब श्रीराम अपने दरबार में बैठे थे तो यमुना तट निवासी कुछ ऋषि-महर्षि च्यवन जी के साथ दरबार में पधारे। कुशल क्षेम के पश्‍चात् उन्होंने बताया, “महाराज! इस समय हम बड़े दुःखी हैं। लवण नामक एक भयंकर राक्षस ने यमुना तट पर भयंकर उत्पात मचा रखा है। उसके अत्याचारों से त्राण पाने के लिये हम बड़े-बड़े राजाओं के …

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चमत्कारी मंदिर, जहां 2000 वर्षों से जल रही है अखंड ज्योति

 मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिला मुख्‍यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बीजा नगरी और यहां पर स्थित है शक्ति स्वरूपा मां हरसिद्धि का चमत्कारी मंदिर। यूं तो सालभर अपनी मनोकामनाएं लेकर श्रद्धालु यहां आते हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान तो यहां आस्था का सैलाब ही उमड़ आता है। >  इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां लगभग …

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जब सांईं बाबा मरकर जी उठे, उन्होंने म्हालसापति को बता दिया था उनके बेटे के बारे में

शिरडी के सांईं बाबा के भक्त म्हालसापति का पूरा नाम म्हालसापति चिमनजी नगरे था। वे पेशे से सुनारी का कार्य करते थे। म्हालसापति ने ही बाबा को सबसे पहले ‘आओ साईं’ कहकर पुकारा और उन्हें साईं नाम दिया। म्हालसापति पर बाबा को अटूट विश्वास था।एक दिन बाबा ने तीन दिन के लिए अपने शरीर को छोड़ने से पहले म्लालसापति से कहा …

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रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य

वाल्मीकि रामायण के बाद अगर कोई और राम कथा सबसे प्रसिद्ध है तो वो है तुलसीदास कृत रामचरितमानस। इसे तुलसीदास जी ने १५७४ ईस्वी में लिखना आरम्भ किया था और २ वर्ष ७ मास और २६ दिन के बाद १५७६ ईस्वी को इसे पूर्ण किया। आइये रामचरितमानस के बारे में कुछ अनसुने तथ्य जानते हैं। मानस में “राम” शब्द कितनी बार …

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वे लोग जिन्होंने शिर्डी के सांईं बाबा को देखा- भाग- 1

श्री सांईं बाबा जब शिर्डी में अपनी लीला कर रहे थे तब उनके साथ कई लोग थे। उनमें से कुछ उनके विरोधी भी थे, तो कुछ समर्थक। आज भी यह सिलसिला जारी है। यूं तो बाबा को साक्षात देखने वालों की लिस्ट में सैकड़ों लोग हैं लेकिन यहां उन लोगों के नाम लिख रहे हैं जिन्होंने बाबा के साथ बहुत …

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