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चाणक्य नीति: किन बातों से संतुष्ट होना चाहिए, किन से नहीं

चाणक्य के एक दोहे से समझा जा सकता है कि मनुष्य को किन चीजों से संतोष रखना चाहिए और किन चीजों से कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए-   तीन ठौर संतोष कर, तिय भोजन धन माहिं। दानन में अध्ययन में, जप में कीजै नाहिं।।   इन तीन चीजों से संतुष्ट रहना चाहिए 1. अपनी स्त्री (पत्नी) हर व्यक्ति को …

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श्रीराम से थी विवाह की चाह, कल्कि अवतार में होगी पूरी!

हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि जब भगवान श्रीराम, सीता जी को खोजते हुए समुद्र किनारे पहुंचे। तब वहां उन्हें एक कन्या दिखाई दीं। वह गहरे ध्यान में बैठी थीं। श्रीराम के पूछने पर उस कन्या ने अपना नाम वैष्णवी बताया और श्रीराम से कहा कि वो उनसे विवाह करना चाहती हैं। इसलिए यहां तप कर रही हैं। श्रीराम …

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जानिए, कौनसे अंगों के फडकने से मिलती है खुशी और दुख

समुद्र शास्त्र के अनुसार इंसान का शरीर बेहद संवेदनशील होता है और उसके पास ऐसी ताकत है जो होने वाली घटना को पहले ही भांप ले। हो सकता है आपको यकीन ना हो लेकिन समुद्र शास्त्र की सहायता से आप इंसान के फड़कते हुए अंगों को जानकर उसके साथ भविष्य में होने वाली घटना को जान सकते हैं। 1. समुद्र …

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जब नर्तकी ने कराया स्वामी विवेकानंद को आत्मज्ञान

स्वामी विवेकानंद का राजस्थान से गहरा संबंध रहा है। खेतड़ी के राजा अजीत सिंह उनके शिष्य थे। इन गुरु-शिष्य का संपूर्ण जीवन देश के उत्थान और मानवता के कल्याण को समर्पित था। 12 जनवरी 1863 को जन्मे नरेंद्रनाथ दत्त को स्वामी विवेकानंद बनाने में अनेक लोगों का सहयोग रहा। उनकी माता भुवनेश्वरी देवी, गुरु रामकृष्ण परमहंस, गुरुमां शारदा देवी के …

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कुरुक्षेत्र में ही क्यों लड़ा गया महाभारत का युद्ध, ये था कारण?

महाभारत के अनुसार, भरतवंश में राजा कुरु ने जिस भूमि को बार-बार जोता, वह स्थान कुरुक्षेत्र कहलाया। राजा कुरु को देवराज इंद्र ने वरदान दिया था कि जो भी व्यक्ति इस स्थान पर युद्ध करते हुए मरेगा, उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। यही कारण है कि महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया। कौन थे राजा कुरु? राजा कुरु महाभारत …

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