कभी आपने यह नहीं सुना होगा कि होली या महाहोली, दीपावली या महादीवावली, नवरात्रि या महानवरात्रि। लेकिन आपने दो शब्द कैलेंडर में पढ़ें होंगे, एक शिवरात्रि और दूसरा महाशिवरात्रि। आखिर शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में फर्क क्या है? आओ संक्षिप्त में जानते हैं इस बारे में।शिवरात्रि- भगावन शिव का सोमवार और प्रदोष दिन नियुक्त है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि …
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कपालेश्वर महादेव मंदिर : अनूठा मंदिर जहां शिव के साथ नहीं हैं नंदी
दुनिया भर में नासिक को कुंभ के मेले की पहचाना जाता है। लेकिन यहां पर एक शिव मंदिर ऐसा है। जिसमें शिव के प्रिय वाहन नंदी उनके साथ नहीं हैं। इस मंदिर को लोग कपालेश्वर महादेव मंदिर के रूप में जानते हैं।इसके पीछे यह कारण बताया गया है कि बात उस समय की है जब ब्रह्म देव के पांच मुख थे। चार मुख तो भगवान की …
Read More »एक ऐसा शिव मंदिर जहां चढ़ती है झाड़ू, आखिर क्या है इसका रहस्य?
‘विश्वास फलं दायकम’ के मंत्र को मुरादाबाद जिले में स्थित एक शिव मंदिर में उमड़ रहा श्रद्धालुओं का कारवां चरितार्थ कर रहा है।मुरादाबाद-आगरा राजमार्ग पर सदत्बदी गांव में स्थित अतिप्राचीन पातालेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शिवलिंग पर झाडू चढ़ाने से जटिल से जटिल त्वचा रोग का समाधान हो जाता है। यूं तो यहां सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, मगर पवित्र श्रावण …
Read More »काशी विश्वनाथ : जिनके त्रिशूल पर विराजित है वाराणसी नगर
‘काशी विश्वनाथ’ के दर्शन से होता है हर भय का नाशभगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल उत्तरप्रदेश की प्राचीन धार्मिक नगरी वाराणसी में हजारों साल पूर्व स्थापित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर विश्वप्रसिद्ध है। हिन्दू धर्म में सर्वाधिक महत्व के इस मंदिर के बारे में कई मान्यताएं हैं। माना जाता है कि भगवान शिव ने इस ‘ज्योतिर्लिंग’ को स्वयं के निवास से प्रकाशपूर्ण …
Read More »दारुक असुर को भस्म करने के बाद मां काली के क्रोध से जब शिव के हो गए 52 टुकड़े
जनमानस में प्रचलित एक कथा के अनुसार एक बार दारुक नाम के असुर ने ब्रह्मा को प्रसन्न कर शक्तिशाली होने का वरदान प्राप्त किया और कहा कि मेरी मृत्यु किसी से भी न हो। ब्रह्मा ने जब अजर-अमर होने का वरदान देने से इंकार किया तो उसने कहा कि अच्छा ऐसा करें कि मेरी मृत्यु किसी स्त्री से ही हो। …
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Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।