वर्षभर आने वाले व्रतों में कार्तिक शुक्ल नवमी का विशेष महत्व है। इस व्रत को आंवला नवमी, धात्री नवमी, कुष्मांड नवमी तथा अक्षय नवमी भी कहते हैं। इस दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्न के दान से अनंत फल मिलता है। पद्यपुराण में वर्णन है कि आंवला वृक्ष साक्षात विष्णु का ही स्वरूप है। आंवले का वृक्ष साक्षात भगवान विष्णु …
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Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।