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त्रेतायुग में ली गई प्रतिज्ञा को भगवान राम ने द्वापरयुग में की पूरी 

है नीको मेरो देवता कोसलपति राम। सुभग सरोरुह लोचन, सुठि सुंदर स्याम।। सिय-समेत सोहत सदा छबि अमित अनंग। भुज बिसाल सर धनु धरे, कटि चारु निषंग।। बलि-पूजा चाहत नहीं, चाहत एक प्रीति। सुमिरत ही मानै भलो, पावन सब रीति।।  सेतु-बंधन के लिए वानरदल द्वारा पर्वत-खण्डों का लाना वाराहपुराण के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने समुद्र पार कर लंका जाने …

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