इधर चित्रकूट पर्वत पर निवास करते हुये राम सीता को घूम-घूम कर उस स्थान की दर्शनीय प्राकृतिक शोभा के दर्शन कराने लगे। सीता अनेक प्रकार की बोली बोलने वाले पक्षियों, रंग-बिरंगी पर्वत शिखरों, नाना प्रकार के फलों से लदे हुये दृष्यों को देखकर अत्यन्त प्रसन्न हुई। एक दिन जब वे इसी प्रकार प्राकृतिक छटा का आनन्द ले रहे थे तो …
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