शास्त्रों में ऋषियों ने जीवन के लिए आवश्यक विविध कार्यों के लिए समय निर्धारित किया है। रात्रि के लिए भोजन, शयन आदि के संबंध में अनेक उपयोगी बातें उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर लिखी हैं। रात्रि से पूर्व यानी संध्या का समय देवपूजन के लिए इसलिए भी निश्चित किया गया है ताकि मनुष्य विकारों से दूर रहे और उसके मन …
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