शुक्र शुभ ग्रह होकर भोग और विलास का कारक ग्रह है और इस पृथ्वी पर जातक पांच कर्मेंद्रियों और पांच ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से सुखोपभोग करता है अर्थात जातक को कब, कितनी मात्रा में किस प्रकार का सुख उपलब्ध होगा, इसका निर्णय शुक्र की जन्म कुंडली में स्थिति देखकर किया जाता है।बिगड़ा हुआ शुक्र जातक का जीवन ही व्यर्थ सिद्ध …
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