पम्पा सरोवर पर पहुँचने के पश्चात् वहाँ के रमणीय दृश्यों को देख कर राम को फिर सीता का स्मरण हो आया और वे उसके वियोग में विलाप करते हुये लक्ष्मण से कहने लगे, “हे सौमित्र! पम्पा का जल मूँगे जैसा निर्मल है। इसके बीच बीच में खिले हुये कमल पुष्प और क्रीड़ा करते हुये जल पक्षी कितने मनोहारी प्रतीत होते …
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