बहू बेगम का मकबरा नवाब शुजाउद्दौला ने अपनी प्रिय पत्नी की याद में बनवाया था। मकबरा मुगल स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। इतिहास गवाह है कि सन् 1816 में इस मकबरे को ताजमहल की भव्यता के साथ बनाने का प्रयास किया गया।
चन्द्रमा की दूधिया रौशनी में सफेद संगमरमर अपनी चमक धारण कर लेता है और ऐसा लगता जैसे कि मकबरे को अमरत्व की चमक मिल जाती है। 42 मीटर की ऊँचाई के साथ यह पूरे फैजाबाद शहर और उसके आसपास का रंग-बिरंगा दृश्य प्रस्तुत करता है। इस इमारत की देखरेख भारतीय पुरातत्व विभाग करता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।