देवभूमि हिमाचल प्रदेश के दो जनपदों मंडी और बिलासपुर से 40 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत मैहरी काथला में स्थित बाबा ‘अन्नपूर्णा’ मंदिर अनायास ही श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
लोककथा के अनुसार करीब 2000 वर्ष पूर्व बाबा अन्नपूर्णा ने यहां घोर तपस्या की थी और चिमटे के प्रहार से यहां सदाबहार जलधारा प्रस्फुटित की थी। जो आज भी बाबा जी की बावड़ी के नाम से प्रसिद्ध हैं। शिव सागर अन्नपूर्णा बाबा को बाबा बसदी का प्रिय शिष्य माना जाता है। बाबा जी यहां प्रत्येक माह भंडारा करते थे और आस-पड़ोस के गांवों को निमंत्रण देते थे। वे अपनी सिद्धियों के द्वारा छोटे-छोटे पतीलुओं (बर्तन) में कढ़ी, मीठा, चावल, दाल इत्यादि बनाते थे और सभी श्रद्धालुओं को उन्हीं छोटे पतीलुओं से भोजन कराते थे। उनका भंडारा कभी कम नहीं पड़ता था। जब सारे ग्रामीण प्रसाद ग्रहण कर लेते थे तो वे पतीलुओं पर ढके कपड़े की धोती को निकाल देते थे और सारे पतीलु खाली हो जाते थे। बाबा जी को ‘दूध-पूत का दाता’ कहा जाता है।
करीब 3 दशक पूर्व कुछ शिकारी लोगों ने बाबा जी के मंदिर के पास रात्रि विश्राम हेतु अच्छा स्थान समझकर रुकने का विचार किया। वे कुटिया के समीप ही मांसाहार पकाने लगे। जनश्रुति के अनुसार आधी रात के समय वे शिकारी ‘बचाओ-बचाओ’ चिल्लाते हुए वहां से भाग गए। ग्रामीणों के पूछने पर उन्होंने किसी अदृश्य शक्ति द्वारा उनके शरीर पर चिमटे से प्रहार करने जैसी पीड़ा को महसूस करना बताया था। इस घटना के बाद किसी भी साधु या शिकारियों ने बाबा जी की पवित्र तपोस्थली झंडोल में रात्रि विश्राम के लिए रुकने का विचार नहीं किया।
बाबा जी के मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए मंदिर समिति का गठन किया गया है। बाबा जी के मंदिर में सुबह-शाम नियमित आरती व भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। विशेष पर्वों, बसंत पंचमी, नवरात्रों, पूर्णिमा व सावन मास में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार करके नया मंदिर निर्मित किया गया है। दानी सज्जनों ने मंदिर प्रांगण में सौर लाइटें व संगमरमर की टाइलें लगवाई हैं।
बाबा जी की बावड़ी के जल से अनेक व्याधियों को ठीक करने की लोकास्था है। यहां स्थित प्राकृतिक जल स्रोतों से ग्रामीणों की कृषि योग्य भूमि को बारहमासा सिंचाई व्यवस्था सुलभ होने के साथ-साथ घराटों का चलना भी संभव हुआ है।
श्रद्धालु यहां नई फसल की छमाही, बाबा जी को रोट चढ़ाते हैं। विवाह-शादियों व यज्ञ की शुभारंभ बेला पर ग्रामीण कभी भी यहां भोग लगाना नहीं भूलते हैं। भक्तगण मनोकामना पूर्ण होने पर यहां जात्रा व लंगर का भी आयोजन करते अक्सर देखे जाते हैं। बाबा अन्नपूर्णा मंदिर में सच्ची आस्था से शीश झुकाने व माथा टेकने से भी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालु जाहू, लदरौर, घुमारवीं आदि स्थानों से सड़क मार्ग द्वारा बारहमासा आवागमन करके आशीर्वाद प्राप्त कर लाभान्वित हो सकते हैं।
 Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
				
