अक्षय नवमी भगवान विष्णु को समर्पित है। ‘अक्षय’ का अर्थ है जिसका क्षय न हो, इसलिए इस दिन किए गए पूजा-पाठ और दान का फल स्थायी होता है। इस साल यह पर्व 31 अक्टूबर यानी आज मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और उपाय करने से मां लक्ष्मी का घर में स्थायी वास होता है।
अक्षय नवमी, जिसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक महीन के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। ‘अक्षय’ का अर्थ है जिसका कभी क्षय न हो, यानी सदैव स्थायी। मान्यता है कि इस दिन किए गए पूजा-पाठ और दान का फल कभी नष्ट नहीं होता और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस साल अक्षय नवमी का पर्व 31 अक्टूबर, यानी आज के दिन मनाया जा रहा है। कहते हैं कि इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा और इससे जुड़े उपाय करने से घर में धन की देवी मां लक्ष्मी का स्थायी रूप से वास होता है, तो आइए जानते हैं।
अक्षय नवमी पर करें ये उपाय
आंवले के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं
अक्षय नवमी की शाम को आंवले के पेड़ के नीचे घी का दीपक जरूर जलाएं। अगर आपके घर के आस-पास आंवले का पेड़ न हो, तो गमले में लगे आंवले के पौधे के पास या भगवान विष्णु के मंदिर में यह दीपक जलाएं। इस उपाय को करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी दोनों की कृपा मिलेगी। साथ ही धन-समृद्धि के नए-नए रास्ते खुलेंगे।
आंवला और लाल धागा
नवमी की रात को, एक आंवले को लेकर उस पर लाल रंग का कलावा या धागा सात बार लपेटें। इसके बाद इसे चुपचाप अपने धन के स्थान में रख दें। ऐसा माना जाता है कि आंवला भगवान विष्णु का प्रिय है और लाल धागा शुभता का प्रतीक है। ऐसा करने से धन का आगमन होता है।
आंवले का दान
यह दिन अक्षय फल देने वाला है, इसलिए इस दिन आंवले का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन गरीब या जरूरतमंदों को आंवला या आंवले से बनी चीजों का भी दान कर सकते हैं। दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और मां लक्ष्मी खुश होती हैं।
भगवान विष्णु को आंवले चढ़ाएं
इस पावन दिन भगवान विष्णु को आंवले का भोग लगाएं। पूजा पूर्ण होने के बाद इस आंवले को प्रसाद के रूप में खुद भी ग्रहण करें। ऐसा करने से अच्छे स्वास्थ्य, जीवन में सकारात्मकता और अपार धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
 Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।
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