सभी देवी-देवताओं में भोलेनाथ को कल्याणकारी माना गया है। इसके अलावा ये थोड़ी सी भक्ति करने से जल्दी ही प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। वही शिवपूजा का सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’,जो प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है,इसके साथ ही भोले नाथ को शीघ्र ही प्रसन्न कर देता है। वही यह मंत्र शिव तथ्य है जो सर्वज्ञ, परिपूर्ण और स्वभावतः निर्मल है इसके समान अन्य कोई नहीं है। इसके अलावा हृदय में ‘ॐ नमः शिवाय’ का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभकार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है। 
जब वेद-शास्त्र पंचाक्षर में हुए विलीन
शिवपुराण के अनुसार एक बार माँ पार्वती भोलेनाथ से पूछती हैं कि कलियुग में समस्त पापों को दूर करने के लिए किस मंत्र का आशय लेना चाहिए? देवी पार्वती के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान शिव कहते हैं कि प्रलय काल में जब सृष्टि में सब समाप्त हो गया था, तब मेरी आज्ञा से समस्त वेद और शास्त्र पंचाक्षर में विलीन हो गए थे। सबसे पहले शिवजी ने अपने पांच मुखों से यह मंत्र ब्रह्माजी को प्रदान किया था। शिव पुराण के अनुसार इस मंत्र के ऋषि वामदेव हैं एवं स्वयं शिव इसके देवता हैं।भोले नाथ की कृपा पाने के लिए यह मंत्र बहुत प्रभावी है।
महामंत्र की शक्ति
वेदों के मुताबिक शिव अर्थात सृष्टि के सृजनकर्ता को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप ही काफी ज्यादा है। इसके अलावा भोलेनाथ इस मंत्र से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं एवं इस मंत्र के जप से आपके सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आप पर महाकाल की असीम कृपा बरसने लगती है। वही स्कन्दपुराण में कहा गया है कि-‘ॐ नमः शिवाय ‘महामंत्र जिसके मन में वास करता है, वही उसके लिए बहुत से मंत्र, तीर्थ, तप व यज्ञों की क्या जरूरत है। यह मंत्र मोक्ष प्रदाता है। इसके साथ ही पापों का नाश करता है और साधक को लौकिक, परलौकिक सुख देने वाला है।
पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है यह मंत्र
नमः शिवाय की पंच ध्वनियाँ सृष्टि में मौजूद पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं,जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि बनी है और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाती है।वही भगवान शिव सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देव माने जाते हैं। क्रमानुसार ‘न’ पृथ्वी,’मः’पानी,’शि’अग्नि ,’वा’ प्राणवायु और ‘य’ आकाश को इंगित करता है। शिव के पंचाक्षर मंत्र से सृष्टि के पांचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है।
मंत्र जपने की विधि
इस मंत्र का जाप हमें शिवालय, तीर्थ या घर में साफ,शांत व एकांत जगह बैठकर करना चाहिए। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार हर दिन रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए,क्योकि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है। जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। अगर आप पवित्र नदी के किनारे शिवलिंग की स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे तो उसका फल सबसे उत्तम प्राप्त हो सकता है। शिव के ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप किसी भी समय किया जाता है। इसके धार्मिक लाभ के अलावा ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र स्वास्थ्य लाभ भी देता है। इसके उच्चारण से समस्त इंद्रियां जाग उठती हैं।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।