प्रदोष के व्रत से मानव के कष्टों का होता है नाश, महाशिवरात्रि के पहले प्रदोष पर करे शिव आराधना

महादेव की आराधना करने से भक्तों को हमेशा सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है। कल्याण के देवता शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और उनको आरोग्य, लंबी आयु, धन-संपदा आदि का आशीर्वाद देते हैं। भगवान भोलेनाथ की कृपा से मानव पृथ्वीलोक में सभी सुखों को भोगकर देह त्याग करने के बाद शिव चरणों में निवास पाता है। इसलिए सनातन संस्कृति के धर्म शास्त्रों में शिव आराधना का विशेष महत्व है।

Pradosh का व्रत हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिवपूजा करने से व्यक्ति पापमुक्त हो जाता है। Pradosh की शास्त्रोक्त कथा के अनुसार चंद्रमा को क्षय रोग हो गया था और इस वजह से उनको काफी तकलीफ हो रही थी। महादेव ने चंद्रमा के कष्टों का निवारण कर उनको जीवनदान दिया था। चंद्रमा को रोगमुक्त भोलेनाथ ने त्रयोदशी तिथि को किया था इसलिए इस तिथि को प्रदोष कहा जाने लगा।

Pradosh से मिलने वाले फल

अलग-अलग वार को आने वाली Pradosh के व्रत से अलग-अलग फल मिलता है। रवि Pradosh के व्रत से आरोग्य और लंबी उम्र का वरदान मिलता है। सोम प्रदोष के व्रत से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। मंगल प्रदोष के व्रत से रोगों से मुक्ति मिलती है। बुध प्रदोष के व्रत से शिव का आशीर्वाद मिलता है। गुरु प्रदोष के व्रत के व्रत से शत्रुओं का नाश होता है। शुक्र प्रदोष से दांपत्य जीवन का सुख मिलता है। शनि प्रदोष के व्रत से संतान की प्राप्ति होती है।

Pradosh व्रत की विधि

Pradosh के दिन सूर्योदय के पूर्व उठ जाएं। स्नान आदि से निवृत्त होकर भोलेनाथ का स्मरण करें। प्रदोष का व्रत निराहार करने से ज्यादा पुण्य मिलेगा। सूर्यास्त के एक घंटा पहले स्नान आदि से निवृत्त्त होकर सफेद वस्त्र धारण करें। पूजास्थल को स्वच्छ जल से धोकर रंगोली बनाएं। कुश के आसन पर बैठकर भगवान शिव की उपासना करें। शिवलिंग को पंचामृत और शुद्ध जल से स्नान करवाकर अबीर, गुलाल, चंदन, फूल आदि समर्पित करें। धतूरा, भांग, ऋतुफल, मिठाई चढ़ाएं।

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