शक्ति सेवा और भक्ति के प्रतीक देव रूप में हनुमान जी की उपासना सम्पूर्ण भारतवर्ष में की जाती है। प्रत्येक नगर में इनके विशाल मंदिर स्थापित किए गए हैं। श्रद्धालु भक्तगण अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार इनकी उपासना करते हैं। बड़े से बड़े संकटों का निवारण करने में श्री हनुमान उपासना सक्षम है। अगर हम आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो सुग्रीव रूप जीवात्मा का परमात्मा राम से मिलन हनुमान रूपी एकांत निष्टा के द्वारा ही संभव है। सभी दृष्टि से हनुमान उपासना जन कल्याणकारी है।
हनुमानजी का एक नाम संकटमोचन भी है। आजन्म ब्रह्मचारी हनुमान जी वानर-वंशी होते हुए भी समर्थ देवता हैं। वह वेद-वेदांग, ज्योतिष, योग, व्याकरण, संगीत, आध्यात्मिक तथा मल्ल-विद्या के गुरु हैं। राजनीति और रणनीति में भी वह सिद्धहस्त हैं। शक्ति, पराक्रम, युद्ध, संघर्ष और उपद्रव निवारण के अवसरों पर जन-सामान्य बड़ी आस्था और सहजता के साथ पुकारते हैं-जय हनुमान वीर बजरंगी।
श्री हनुमानजी की पूजा का दिन मंगलवार और शनिवार है। लाल-वस्त्र, लाल-चंदन, लाल-फूल, सिंदूर का लेपन, मोदक का नैवेद्य उनकी पूजा में प्रयुक्त होते हैं।
हनुमान जी को राम-कथा प्रिय है। हनुमान चालीसा, हनुमत्कवच आदि के पाठ से लोग प्राय: उनकी कृपा पाते रहते हैं।
श्री हनुमान जी का ध्यान मंत्र इस प्रकार है-
मनोजवं मारुततुल्यवेग,
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
अतुलितबलधामं हेम शैलाभदेहं-
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुण्निधानं वानराणामधीशं,
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।