हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन (Sawan 2025) पांचवा महीना होता है। सनातन धर्म में इस माह को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है। सावन में शिव भक्त रोजाना महादेव (Lord Shiv) की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान शिव मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है।
सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने में कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती है। साथ ही महादेव का विशेष चीजों के द्वारा अभिषेक किया जाता है।
धार्मिक मत है कि महादेव की पूजा करने से साधक के सभी दुख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन के महीने भगवान शिव पृथ्वी पर वास क्यों करते हैं। अगर नहीं पता, तो ऐसे आइए हम आपको बताएंगे इसके बारे में।
पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने यज्ञ के लिए सभी को आमंत्रण दिया, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं दिया। जब इस बात की जानकारी मां पार्वती को हुई, तो उन्होंने भी यज्ञ में जाने के लिए जिद की, लेकिन महादेव ने जाने इंकार कर दिया। इसके बाद मां पार्वती ने महादेव की बात को नहीं माना और वह यज्ञ में शामिल होने के लिए चली गईं।
वहां पहुंच कर उन्होंने देखा कि यज्ञ में सभी के लिए स्थान है, लेकिन महादेव के लिए नहीं है और राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया। इसको देखकर मां पार्वती क्रोधित होकर यज्ञ की अग्नि में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। उन्होंने प्रण लिया कि जब भी दोबारा जन्म होगा, तो महादेव को अपने पति के रूप में स्वीकार करेंगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तभी से सावन के महीने में महादेव पृथ्वी पर आकर सृष्टि का संचालन करते हैं। इस माह में कनखल में शिव जी दक्षेश्वर रूप में विराजमान रहते हैं।
इसके बाद मां पार्वती ने दूसरा जन्म माता सती और राजा हिमालय की पुत्री के रूप में लिया। उन्होंने महादेव को पति के रूप में पाने के लिए सावन के महीने में तपस्या की। उनकी तपस्या को भगवान शिव प्रसन्न हुए और मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां पार्वती की तपस्या की वजह से ही महादेव को सावन का महीना प्रिय है।