5 नहीं14 पतियों की पत्नी बन सकती थी द्रौपदी लेकिन हुआ था कुछ ऐसा

आप सभी ने महाभारत की कई कहानियों को सुना होगा. ऐसे मे आपने कभी सोचा है कि द्रौपदी को पांडवों से शादी क्यों करनी पड़ी थी…? जी दरसल द्रोपदी को पांडवों की माँ के वचन के कारण 5 पांडवों की पत्नी बनना पड़ा था और उन्हें अर्जुन ने स्वयंवर में जीता था. वहीँ द्रौपदी महाराजा द्रुपद की कन्या थी. जब उनका जन्म हुआ तो एक भविष्यवाणी भी हुई. कहा गया था “देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए एवं उन्मत क्षत्रियों के संहार के लिए ही इस रमणी रत्न का जन्म हुआ है. इसके द्वारा कौरवों को बड़ा भय होगा.” वहीँ द्रौपदी को यज्ञसेनी भी कहा जाता है वो इसलिए क्योकिं उनका जन्म यज्ञकुण्ड से हुआ था.जी हाँ और उनका शरीर कृष्ण वर्ण के कमल के जैसा कोमल और सुंदर था, अतः इन्हें कृष्णा भी कहा जाता है.

उस समय द्रौपदी की इच्छा थी कि उनका विवाह जिस से भी हो उसमे यश्वान, सौन्दर्यवान, धनवान, धर्मवीर, धैर्यवान, ज्ञानी, बुद्धिमान, साहसी, ताकतवर, हिम्मती, योद्धा, देवप्रेमी, राजगुणी, सच्चा और कीर्तिवान जैसे 14 गुण हो और अपनी इस इच्छा को पूरी करने के लिए द्रौपदी ने शिवजी की कठोर तपस्या की थी. कहा जाता है उनकी तपस्या से खुश होकर शिवजी प्रकट हुए और उनसे अपनी इच्छा का वरदान मांगने को कहा और तब द्रौपदी ने शिव जी से अपनी इच्छानुसार 14 गुणों को धारण करने वाला पति मांगा. इसी बात को सुनकर भगवान शिव ने कहा कि ”14 गुण एक ही व्यक्ति में होना संभव नहीं है इसलिए मैं तुम्हे वरदान देता हूँ कि ये चौदह गुण तुम्हें अलग अलग व्यक्ति में मिलेंगे, इसलिए तुम्हारा विवाह 14 गुणों वाले 14 पुरुषों से होगा.”

वहीँ उस समय शिवजी की बात सुनकर द्रौपदी ने पूछा :- “भगवान् आप मुझे वरदान दे रहे हैं या श्राप, अगर मेरा विवाह 14 पुरुषों से हुआ तो मेरे लिए यह स्त्री सम्मान को कलंकित करने वाली बात होगी.’ उस समय शिव जी ने द्रौपदी के स्त्री सम्मान की रक्षा करने के लिए एक और वरदान दिया कि जब भी तुम सुबह उठ कर नहाओगी, तुम फिर से कुंवारी हो जाओगी और इससे स्त्री सम्मान कभी खंडित नहीं होगा. कहा जाता है शिव के वरदान से द्रौपदी का विवाह पाँचों पांडव से हुआ जिनमे द्रौपदी के मांगे 14 गुण शामिल थे और 14 गुणों वाले 14 व्यक्तियों के बजाय उनका जन्म 14 गुणों वाले 5 पांडवों से हुआ था.

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