साईं भक्तो को पता होना चाहिए, बाबा से जुड़ी ये 4 बातें

शिर्डी वाले साईं बाबा ने इंसानियत को सबसे बड़ा धर्म माना है। इंसानियत की अहमियत बताती साईं की यह सीख धर्म पालन की नासमझी से पैदा गलत सोच के बंधनों में जकड़े हर इंसान को सही रास्ता दिखाती है। साथ ही, सिखाती है खुले विचारों के साथ व्यवहार और कर्मों को साधने की कला। हिन्दू धर्म मान्यताओं के अनुसार विचार करें तो परब्रह्म के त्रिगुण स्वरूप ब्रह्मा, विष्णु और महेश की रचना, पालन व बुरी शक्तियों के संहार के गुण साईं चरित्र में भी प्रकट होते हैं।

दरअसल, ब्रह्मदेव की ज्ञान शक्ति से रचना या बनाने का भाव, विष्णु की सत्व शक्ति यानी शांति से पालन और शिव का वैराग्य से सुख प्राप्ति का गुण साईं बाबा के ज्ञानी, त्यागी व शांत चरित्र में भी दिखाई देता है। यही वजह है कि साईं चरित्र में समाई 4 अहम बातें व्यावहारिक जीवन में हर व्यक्ति को धर्म और मानवीयता से जोड़ जीने की राह बताती है। आइए जानते हैं कौन सी साईं बाबा से जुड़ी वो 4 बातें….

अहं भाव छोड़ें- साईं बाबा ने विनम्रता व उदारता को सुखद जीवन का अहम सूत्र माना। इसके लिए अहं भाव को मन में स्थान न देने का सबक दिया, जो रिश्तों में टकराव की वजह बन जाता है।

बुराई से बचें- साईं बाबा ने सुख-शांति से जीवन बिताने के लिए हमेशा तन की मलिनता, मन के बुरे भाव, कर्म में आलस्य या धन के लिए गलत तरीके अपनाना जैसी हर तरह की बुराईयों से दूर रहने पर जोर दिया।

धन के साथ बुद्धि- साईं ने यह भी सिखाया कि ईश्वर से धन की कामना बुरी नही, किंतु उसके साथ बुद्धि की कामना भी जरूर करें, ताकि धन का संग पाकर मन व जीवन में भटकाव न आए। बल्कि परोपकार में धन का उपयोग हो।

न्यायप्रिय वचन- साईं बाबा ने इस खास सूत्र द्वारा वचन की पवित्रता से सफलता की राह बताई। साईं ने सिखाया कि सत्य और न्यायप्रिय बोल की ही सार्थकता है। अन्यथा बुरे, अप्रिय या अन्याय से भरे शब्दों का कोलाहल जीवन को अशांत कर देता है।

यदि आपको जीवन से जुड़ी अहम जरूरतों और जिम्मेदारियों को पूरा करने में परेशानियां आ रहीं हैं तो गुरुवार या हर दिन साईं मंत्र का जाप करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। निर्मल मन से एकाग्र होकर साई का ध्यान करते हुए इस मंत्र को बोलें तो आपके सारे विघ्नों का नाश होगा व सुख-सौभाग्य मिलेगा।

नमो गुरुभ्यो गुरुपादुकाभ्यो नम: परेभ्य: परपादुकाभ्य:।

आचार्यसिद्धेश्वरपादुकाभ्यो नमोअस्तु लक्ष्मीपतिपादुकाभ्य:।।

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