आज महाष्टमी है। इस दिन मां दुर्गा के स्वरूप की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि अष्टमी के दिन आदिशक्ति मां दुर्गा की व्रत उपवास करने से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही आज आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की मासिक दुर्गाष्टमी भी है। यह साल के प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है।
महत्व
मां ममता का सागर होती है। इन्हें कल्याणकारी, भवानी, अन्नपूर्णा नामों से भी पुकारा जाता है। इनकी कृपा भक्तों पर सदैव बनी रहती है। धार्मिक मान्यता है कि मां आदिशक्ति तीनों लोकों का कल्याण करती हैं।
मां दुर्गा पूजा का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि में मां की पूजा निशिता काल में की जाती है। इसके अतिरिक्त व्रती आज किसी समय मां की पूजा-आराधना कर सकते हैं। पंचांग के अनुसार अष्टमी की तिथि 28 जून को रात में 2 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 29 जून को रात में 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी।
पूजा विधि व्रती
इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात ॐ पवित्राय नमः का मंत्रोच्चारण कर आमचन करें। इसके बाद व्रत संकल्प लें। अब मां का आह्वान निम्न मंत्र से करें।
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
इसका भावार्थ है- हे नारायणी ! जगत जननी ! मां अन्नपूर्णा आपको मेरा दंडवत प्रणाम है। हे मां- मुझे मुझे सद्बुद्धि दें, सत्मार्ग पर चलने की शक्ति दें। अपनी कृपा से मेरा जीवन धन्य करें।
तदोउपरांत, मां की पूजा फल, फूल, लाल पुष्प, दूर्वा,धुप, दीप आदि से करें। इस समय दुर्गा चालीसा और दुर्गा स्तुति का जरूर पाठ करें। अंत में आरत-प्रार्थना करें। दिन भर उपवास रखें। साधक चाहे तो दिन में एक बार फलाहार कर सकते हैं। शाम में आरती प्रार्थना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।
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