क्यू मनाया जाता है हरियाली तीज, जानें क्या है इसका पौराणिक महत्व

हिन्दू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्व है। हरियाली तीज उत्तर भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और उत्तम संतान के लिए हरियाली तीज का व्रत करती हैं। हरियाली तीज मनाने के पीछे भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन की कथा है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज को देवों के देव महादेव और माता पार्वती के मिलन का दिवस माना जाता है। शिव और शक्ति का मिलन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था।

महादेव को पति स्वरूप में पाने के लिए व्रत

शिव पुराण में बताया गया है कि मां पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। मां पर्वती को महादेव की पत्नी बनने के लिए 108 जन्म लेने पड़े। शक्ति ने 107 जन्मों तक कठोर तपस्या की। 108वें जन्म में माता ने अपने तप से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया, जिसके परिणाम स्वरूप महादेव ने शक्ति को अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लिया।

तीज पूजा में 16 श्रृंगार का महत्व

तीज व्रत महिलाएं सदा सुहागन रहने की कामना से करती हैं। अखंड सौभाग्य के लिए किए जाने वाले इस व्रत में महिलाएं मां पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित करती हैं। इसमें 16 श्रृंगार की वस्तुएं माता रानी को चढ़ाया जाता है। इसमें चूड़ी, सिंदूर, कंगन, मेंहदी, साड़ी, चुनरी आदि शामिल होता है।

व्रत रखने वाली महिलाएं माता पार्वती को विधिपूर्वक ये वस्तुएं अर्पित करती हैं और उनसे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगती हैं। हरियाली तीज की पूजा में पार्वती जी के साथ भगवान शिव शंकर की भी पूजा की जाती है।

इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं भी 16 श्रृंगार करती हैं। कई जगहों पर तीज के दिन झूला झूलने और लोक गीत गाने का प्रचलन है।

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