विकट संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग

विकट संकष्टी चतुर्थी का दिन बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। संकष्टी का अर्थ है समस्याओं से मुक्ति। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को रखने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन की सभी मुश्किलें समाप्त होती हैं तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं –

विकट संकष्टी चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के सम्मान में मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इन्हें अन्य देवताओं में प्रथम पूज्य माना जाता है। यही वजह है कि इस व्रत का इतना ज्यादा महत्व है। हालांकि व्रत रखते समय पवित्रता का खास ख्याल रखना चाहिए, जिससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त किया जा सके।

इस बार यह व्रत 27 अप्रैल शनिवार के दिन रखा जाएगा, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं, जिनकी जानकारी होना बहुत आवश्यक है –

विकट संकष्टी चतुर्थी 2024 पर बन रहे हैं ये शुभ योग

विकट संकष्टी चतुर्थी पर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। वहीं, व्रत वाले दिन शुभ उत्तम मुहूर्त सुबह 07 बजकर 22 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान पूजा करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें कि पूजा चंद्रोदय के बाद ही हो।

विकट संकष्टी चतुर्थी 2024 व्रत का महत्व

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन बप्पा की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से सभी विघ्नों का नाश होता है। साथ ही शिव जी के लल्ला का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि संकष्टी चतुर्थी पर मोदक चढ़ाने से गणेश जी बहुत खुश होते हैं, क्योंकि मोदक उन्हें बहुत प्रिय है। इसलिए इस पर्व पर उनका प्रिय भोग जरूर चढ़ाएं। साथ ही पूजा में भूलकर भी तुलसी पत्र शामिल न करें।

भगवान गणेश पूजन मंत्र

  • ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
  • गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
  • महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
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