जानिए कैसे श्री कृष्ण की मृत्यु से है प्रभु श्री राम का गहरा नाता…

भगवान श्री कृष्ण हिन्दू धर्म में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. श्री कृष्ण ने माता देवकी और पिता वासुदेव के यहां जन्म लिया था. जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ था उस समय उनके माता-पिता को उनके मामा कंस ने कारागार में बंदी बनाकर रखा था. श्री कृष्ण की परवरिश माता यशोदा और नंद जी ने की थी. हम सभी लोग श्री कृष्ण के बचपन, दोस्त, मित्र, माता-पिता आदि के बारे में बहुत अच्छे से जानते हैं, हालांकि श्री कृष्ण की मृत्यु से बहुत कम लोग ही परिचित हैं. आइए आज जानते हैं कि कैसे श्री कृष्ण की मृत्यु हुई थी ?

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जिसने इस धरा पर मानव रूप में जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है. शरीर मरता है और आत्मा अमर रहती है. गीता में भगवान श्री कृष्ण ने खुद यह बात कही है कि न तो आत्मा का जन्म होता है और न ही इसका अंत. श्री कृष्ण ने बताया है कि जिस तरह हम वस्त्र बदलते हैं, ठीक उसी तरह आत्मा शरीर बदलती है.

भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु की बात की जाए तो एक बार भगवान श्री कृष्ण को जरा नाम की शिकारी ने मृग समझकर विषयुक्त बाण चला दिया था, बाण प्रभु के पैर के तलुवे में लगा और इसी को बहाना बनाकर श्री कृष्ण ने देह त्याग दी. हालांकि इसके बाद भील जरा बहुत व्यथित हो उठी और समुद्र में समाकर उसने भी अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. मान्यता इसके पीछे ऐसी भी है कि जिस तरह श्री राम ने त्रेतायुग में बाली को छिपकर तीर मारा था, ठीक उसी तरह की मृत्यु श्री कृष्ण ने अपने लिए द्वापरयुग में चुनी. कहा जाता है कि बाली ने द्वापरयुग में जरा के रूप में जन्म लिया था. आपको जानकारी के लिए बता दें कि श्री कृष्ण और श्री राम दोनों ही श्री विष्णु के अवतारी है. त्रेतायुग में विष्णु जी ने श्री राम तो द्वापरयुग में श्री विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिए था. श्री राम विष्णु जी के सातवें और श्री कृष्ण विष्णु जी के 8वें अवतार थे.

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