वनवास में यहां आए थे सीता और श्रीराम, आज भी बने हैं कदमों के निशान

ram-559f728d4182b_l (1)भारत भूमि पर भगवान के अनेक अवतार हुए हैं। उनका उद्देश्य मानव को सत्य का संदेश देना था। यहां के कई तीर्थों में ऐसी विशेषताएं पाई जाती हैं जिनका संबंध उन अवतारों से रहा है। भले ही आज का विज्ञान उन्हें सहज रूप में स्वीकार नहीं करता लेकिन इससे श्रद्धा की डोर कभी कमजोर नहीं हुई।

ऐसा ही एक मंदिर झारखंड में स्थित है। कहा जाता है कि यहां भगवान श्रीराम और मां सीता के पदचिह्न हैं। यह मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से करीब 20 किमी की दूरी पर स्थित एडचोरो नामक स्थान पर है।

यहां एक पहाड़ पर भगवान शिव का मंदिर है। इसे श्रद्धालु लादा महादेव टंगरा कहते हैं। मंदिर में एक प्राचीन चट्टान है। माना जाता है कि भगवान शिव का स्मरण कर इस चट्टान पर हाथ फेरा जाए तो यहां से पानी निकलने लगता है।

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पास ही एक पत्थर पर अत्यंत प्राचीन पदचिह्न बने हुए हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि ये रामायण कालीन पदचिह्न हैं। वनवास के दौरान एक बार भगवान श्रीराम और सीताजी यहां आए थे।

ये चिह्न उनके ही हैं। इतने वर्षों में यहां असंख्य श्रद्धालु महादेव के दर्शन करने आ चुके हैं। साथ ही वे श्रीराम-सीता के पदचिह्नों के भी दर्शन करते हैं। वे उन्हें स्पर्श कर नमन करते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए प्रार्थना करते हैं।

इस प्रकार शिव का यह धाम श्रीराम का स्थान भी माना जाता है। यहां श्रावण मास, सोमवार, शिवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर काफी भीड़ रहती है।

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