दक्षिण भारत में ओणम का त्योहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ओणम मनाने के लिए देश-विदेश तक के लोग आते हैं। यह एक सांप्रादायिक सद्भावना का पर्व है।

इस पर्व को हर धर्म के लोग मिल जुलकर मनाते हैं। यह त्योहार पूरे दस दिनों तक चलता है। यह उल्लास, उमंग और परंपराओं से भरा हुआ त्योहार है।
यह त्योहार महाबली राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है। राजा बलि असुराज होने पर भी भगवान विष्णु के भक्त थे। इस त्योहार की कथा भी विष्णु जी के वामन अवतार से जुड़ी है।
मान्यता है कि साल में एक बार पाताल लोक से राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने धरती लोक पर आते हैं। इस दिन वामन अवतार और राजा बलि की पूजा के साथ उनका स्वागत किया जाता है। यह एक कृषि पर्व भी है। इस त्योहार को ऩई फसल उगने की खुशी में भी मनाया जाता है।
यह त्योहार पूरे दस दिनों तक चलता है। मलयालम कैलेंडर के हिसाब से यह त्योहार पहले माह में होता है, ओणम मलयाली हिंदू धर्म के लोगों के लिए यह नव वर्ष का आरंभ भी होता है।
यह उत्सव केरल के त्रिक्काकरा वामन मंदिर से प्रारंभ होता है, इसके प्रथम दिन को उथ्रादम और दूसरे दिन को थीरुओणम कहा जाता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।