स्कंद षष्ठी पर इस विधि से करें पूजा, नोट करें मंत्र

स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को समर्पित है जो भगवान शिव और पार्वती के पुत्र हैं। यह पर्व दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है और भय दूर होता है।

स्कंद षष्ठी का दिन बेहद शुभ माना जाता है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र, भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। यह दिन विशेष रूप से दक्षिण भारत में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति और विजय का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है। साथ ही भय दूर होता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti 2025) आज यानी 30 जून को मनाया जा रहा है, तो आइए इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

स्कंद षष्ठी 2025 शुभ मुहूर्त
अभिजीत – प्रात: 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक
अमृत काल – 30 जून से प्रात: 04 बजकर 52 मिनट से प्रात: 06 बजकर 31 मिनट तक जून।

स्कंद षष्ठी 2025 पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
पूजा और व्रत का संकल्प लें।
एक वेदी पर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें।
गंगाजल से अभिषेक करें।
भगवान को चंदन और कुमकुम का तिलक लगाएं।
उन्हें लाल, पीले रंग के फूल, विशेष रूप से चमेली व गेंदा के फूल अर्पित करें।
गाय के घी का दीपक जलाएं।
भोग में दूध, फल, पंचामृत और मोदक, अप्पम, पायसम (खीर), गन्ना आदि जरूर शामिल करें।
भगवान कार्तिकेय के मंत्रों का जाप करें।
अंत में आरती करें।
स्कंद षष्ठी कथा पढ़ें या सुनें।
पूजा में तामसिक चीजें शामिल न करें।

भगवान कार्तिकेय के पूजा मंत्र
ॐ शरवणभवाय नमः।।
ॐ कार्तिकेयाय नमः।।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि तन्नो स्कन्दः प्रचोदयात्।।
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।।

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