जानिए संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र, जप विधि, अर्थ और इससे होने वाले लाभ….

आप सभी जानते ही हैं कि आज सोमवार का दिन है जो भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। इस दिन भोले बाबा की आराधाना करते हैं। जी दरअसल कहा जाता है सोमवार को जो उनकी आराधना करता है मन के अनुसार फल पाता है। ऐसे में आज ही के दिन उनके सबसे प्रभावशाली महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं महामृत्युंजय मंत्र के जाप की विधि क्या है? महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ क्या है? महामृत्युंजय मंत्र के जाप से होने वाले लाभ क्या हैं?

संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र – ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

लघु मृत्युंजय मंत्र – ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।

महामृत्‍युंजय मंत्र का अर्थ – इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्‍यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।

महामृत्‍युंजय मंत्र जप की विधि – इस मंत्र के जाप के लिए सोमवार का दिन शुभ होता है। इस मंत्र का जाप सवा लाख बार करना चाहिए। इसी के साथ भोलेनाथ के लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार किया जाता है। कहते हैं सावन के महीने में इस मंत्र का जाप अत्यंत ही कल्याणकारी होता है। ध्यान रहे इस मंत्र के जाप में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। इसी के साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि दोपहर 12 बजे के बाद महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप कभी भूल से भी न करें।

क्यों करते हैं महामृत्युंजय मंत्र का जाप – कहा जाता है इस मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में किया जाना चाहिए। वह विशेष परिस्थितियां अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से मुक्ति आदि हैं।

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