आइये जानें गौतम बुद्ध के सिर पर एकत्र हुए 108 घोंघो का रहस्य….

गौतम बुद्ध को तो आप सभी जानते ही होंगे। गौतम बुद्ध वही है जिन्होंने बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी। आज के समय में बौद्ध धर्म दुनिया के सबसे पुराने और सबसे मशहूर धर्मों में से एक है इस बात को आप भी मानते होंगे। आज बौद्ध धर्म के करोड़ो अनुयायी हैं जो इसका प्रचार-प्रसार करने में लगे हुए हैं। आपको पूरी दुनिया में भगवान बुद्ध की हज़ारों-लाखों प्रतिमाएं दिख जाएंगी जो बहुत खूबसूरत और आकर्षक होती हैं। कई प्रतिमाएं तो ऐसी हैं जिन्हे यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट की सूची तक में जगह मिली हुई है। गौतम बुद्ध के बारे में बात करें तो उनकी प्रतिमाएं बहुत आकर्षक होती हैं। कहीं आपको उनकी साधना करने वाली प्रतिमा मिलेगी तो कहीं ध्यान करने वाली। सभी प्रतिमाएं अपने आपमें अनोखी हैं। खैर इन सभी प्रतिमाओं में एक चीज सामान्य है और वह है गौतम बुद्ध की हर प्रतिमा में नजर आने वाले उनके घुंघराले बाल। लेकिन इसके पीछे की असली कहानी अगर हम आपको बताएंगे तो आप हैरान रह जाएंगे।

क्या है गौतम बुद्ध के बालों का रहस्य- गौतम बुद्ध की हर प्रतिमा में जो आप घुंघराले बाल देखते हैं वह असल में बाल है ही नहीं। जी हाँ, अब आप सोच रहे होंगे कि फिर वह आखिर क्या हैं…? जी दरअसल गौतम बुद्ध के सिर पर जो घुंघराले बालों जैसे दिखाई देते हैं वह बाल नहीं बल्कि ढेर सारे स्नेल (घोंघा) है। सुनकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा ना कि ऐसा कैसे। तो हम आपको इसके पीछे के भी रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं।

आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए बौद्ध भिक्षु करवाते हैं मुंडन – बौद्ध धर्म के त्रिपिटक में से विनयपिटक ग्रंथ में बहुत से दिशा-निर्देश लिखे हुए हैं। इन दिशा-निर्देशों को माने तो इनमे लिखा हुआ है आत्मज्ञान को प्राप्त करने के लिए मनुष्य का तन और मन दोनों ही बिलकुल पवित्र होने चाहिए। इन दिशा निर्देशों को मानते हुए बौद्ध भिक्षु अपने तन की पवित्रता के लिए अपने सिर का मुंडन करवा लेते हैं। यही किया था सिद्धार्थ गौतम यानी गौतम बुद्ध ने। उन्होंने जब अपने राज्य का त्याग किया था तो उसी दौरान उन्होंने भी अपना मुंडन करवा लिया था।

कैसे गौतम बुद्ध के सिर पर आए घोंघे- कहा जाता है एक बार गौतम बुद्ध ध्यान में मग्न थे। उस दौरान वह पेड़ के नीचे बैठे थे और साधना कर रहे थे। साधना करते-करते वह इतने अधिक ध्यान में लीन हो गए कि उन्हें बाहर के बारे में कुछ पता नहीं रहा। बाहरी दुनिया को भुलाकर वह साधना में डूब गए। जिस समय गौतम बुद्ध साधना में लीन थे उस समय मौसम गर्मी का था और सूरज ठीक गौतम बुद्ध के सिर के ऊपर था। इस दौरान भी गौतम बुद्ध कड़ी तपस्या में लगे हुए थे। इसी बीच गौतम बुद्ध के पास से एक घोंघा निकलने लगा और उसकी नजर पड़ी साधना में लीन भगवान बुद्ध पर। गौतम बुद्ध को इस रूप में देखकर घोंघा रुक गया और वह सोचने लगा कि इतनी अधिक गर्मी में भी वह कैसे साधना में लीन है। घोंघे ने सोचा इनके सिर पर तो बाल भी नहीं है, इस वजह से इनको बहुत गर्मी भी लग रही होगी। यह सब सोच विचार करने के बाद घोंघा गौतम बुद्ध के शरीर पर रेंगते हुए उनके सिर तक पहुंच गया। उसके बाद उसने अपने मन में सोचा कि ‘अगर मैं गौतम बुद्ध के सिर पर रहूंगा तो उनको गर्मी का अहसास कम होने लगेगा।’ यह सोचकर वह वही ठहर गया। उसे देखने के बाद बहुत से घोंघे उसके पीछे-पीछे गौतम बुद्ध के सिर पर चढ़ गए। इस तरह 108 घोंघे गौतम बुद्ध को गर्मी से बचाने के लिए उनके सिर पर बैठे रहे और इस तरह उनकी जान चली गई। कहा जाता है भगवान बुद्ध को आत्मज्ञान दिलवाने में इन 108 घोंघों ने अपनी जान दे दी। अपनी अहम भूमिका के लिए इन 108 घोंघों को महत्वपूर्ण माना जाता है।

स्नेल- यह लचीले शरीर वाले जानवर हैं और इनमे नमी होती है। इन्हे जब भी पकड़ा जाए तो ठंडक का अहसास होता है। अपनी इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए घोंघे गौतम बुद्ध को गर्मी से बचाने के लिए उनके ऊपर बैठ गए और अपने प्राण त्याग दिए। आज गौतम बुद्ध की मूर्तियों के सिर पर जो घुंघराले बाल जैसी आकृति बनाई जाती है वह असल में घोंघे हैं।

एक अन्य भी है कहानी- कुछ लोगों का यह मानना है कि जब गौतम बुद्ध साधना में लीन हुए तो उनके बाल बढ़ गए थे। उस दौरान जब भयंकर गर्मी आई तो गौतम बुद्ध के सिर के सारे बाल जल गए और सभी घुंघराले आकार के हो गए। वैसे आप जानते ही होंगे आज भी विश्व के ऐसे कई गर्म इलाके हैं जहाँ लोगों के बाल जलकर घुंघराले हो जाते है। इसी को आधार मानते हुए आज कई लोग इस कहानी पर यकीन करते हैं।

क्या है सच- इन दोनों कहानियों में से कौन से कहानी सत्य है इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है। सभी की अपनी-अपनी राय है।

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